INDIA Seat Sharing: लोकसभा सीटों के बंटवारे, प्रधानमंत्री पद का चेहरा, चुनावी मुद्दे और संयोजक को लेकर विपक्षों के इंडी गठबंधन (INDI Alliance) में मतभेद अभी तक थमा नहीं है. बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को संयोजक बनाने में लगातार देरी इसकी ताजा मिसाल है. सीट बंटवारे (Seat Sharing) को लेकर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर क्षत्रपों का घमासान भी लगातार जारी है. इस बीच इंडी अलायंस की पांचवीं बैठक भी नहीं हो पा रही है.


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बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस-आरेजडी की वर्चुअल बैठक


इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बिहार के 40 सीटों पर रविवार को कांग्रेस और आरजेडी की वर्चुअल बैठक में मंथन किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के आवास पर हो रही है बैठक में तेजस्वी यादव और लालू यादव के वर्चुअल जुड़ने की संभावना है. बैठक में जेडीयू, आरजेडी, वामपंथी दलों के गठबंधन में कांग्रेस ने 11 सीटों की मांग की है. लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने बिहार की 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इससे पहले तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के आवास पर जाकर गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर बातचीत की थी. इसमें कांग्रेस को 6-7 सीटें देनें की बात सामने आई थी.


नीतीश कुमार करेंगे बिहार में खेला, संयोजक की घोषणा में देरी क्यों


इंडी गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस ने संयोजक पद पर नीतीश कुमार के नाम पर रजामंदी दे दी, लेकिन इसकी घोषणा के लिए होने वाली बैठक ही टल गई. इसको लेकर फिर कोई बैठक भी नहीं हो पाई. अब कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने अगले तीन दिनों तक सीट शेयरिंग पर बैठक की शुरुआत बिहार के सहयोगी दलों से करने की पहल की है.  कांग्रेस की नेशनल अलायंस कमेटी के साथ मीटिंग में किसी फैसले की खबर अब तक सामने नहीं आई है. बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने गठबंधन के लिए पहले ही एक-दो सीटें मायने नहीं रखने की बात कह दी थी. वहीं, जेडीयू पिछली बार लड़ी 17 सीटों और कम से कम जीती हुई 16 सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. सीट बंटवारे से नीतीश की पार्टी जेडीयू ने बिहार में सीतामढ़ी सीट और अरुणाचल प्रदेश में अरुणाचल पश्चिम सीट पर उम्मीदवारों को हरी झंडी भी दे दी.


चार बैठकें और दो डेडलाइन के बावजूद इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग नहीं 


लोकसभा में 136 सांसद और राज्यसभा में 90 सांसदों की ताकत वाले इंडिया गठभंधन में बडे नेता मतभेदों को खामोशी से देख रहे हैं, वहीं बाकी नेताओं की आपस में ही खुलकर जुबानी घमासान जारी है. इंडिया गठबंधन में फिलहाल 26 दलों में से 19 पार्टियों के बीच लोकसभा सीटों का बंटवारा होने वाला है. इसके लिए पहले 31 दिसंबर, 2023 की डेडलाइन तय की गई थी. फिर जनवरी, 2024 के पहले सप्ताह में सीट शेयरिंग के मामले को सुलझा लिया जाने के बारे में कहा गया था. ये दोनों ही डेडलाइन बीतने के बाद भी यह मुद्दा अनसुलझा पड़ा है. कहें तो और ज्यादा पेचीदा हो गया है. कई राज्यों में इससे पहले ही क्षेत्रीय पार्टियां अपने उम्मीदवारों को हरी झंडी देने लगे हैं. यूपी में अखिलेश और अरुणाचल प्रदेश और बिहार में नीतीश की पार्टी ने इसकी शुरुआत भी कर दी है.


पश्चिम बंगाल में भिड़े कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के नेता


पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सहयोगी दलों यानी तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी के नेताओं के बीच घमासान जारी है. जांच के लिए पहुंची प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम पर जानलेवा हमले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तो महज मनमुटाव से आगे बढ़ गई है. सीट शेयरिंग पर साथ मिलकर बात करने की जगह कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और सीएम ममता बनर्जी पर हमला करने में जुटी है. कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की वकालत करती है. वहीं, तृणमूल नेता कुणाल घोष कांग्रेस को बीजेपी का एजेंट बता चुके हैं. लेफ्ट ने राज्य में ममता बनर्जी के साथ मिलने को लेकर साफ मना किया हुआ है. 


सीटों के बंटवारे को लेकर तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में जिस पार्टी को जितने वोट मिले उसके आधार पर ही सीटों का बंटवारा हो. जाहिर है कि कांग्रेस को आत्मघाती तर्क मंजूर नहीं होगा. ममता बनर्जी ने बंगाल की 42 सीटों में कांग्रेस की डिमांड 10 की जगह महज दो सीटों देने की पेशकश की है. ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की एक बैठक में तो जाने से भी इनकार कर दिया था. वहीं, अधीर रंजन चौधरी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी पर हमलावर दिख रहे हैं.


पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी  है कि मानती नहीं


देश की राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में सहयोगी रह चुकी कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. इंडिया गठबंधन में दिल्ली के अलावा पंजाब को लेकर भी कांग्रेस और आप में सीटों को लेकर पेंच है. पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 लोकसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी ने ही कांग्रेस के सफाए में बड़ी भूमिका निभाई है. अरविंद केजरीवाल ने तो अलग-अलग लड़ने की बात कही है. भले ही वह एक राज्य यानी पंजाब में हो. दोनों ही पार्टी के केंद्रीय नेताओं को छोड़ दें तो किसी लेवल पर कार्यकर्ताओं की आपसे में बनती नहीं दिखती.


उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने उम्मीदवारों के नाम गिनाने शुरू किए


उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मजह एक सीट जीतने वाली कांग्रेस को समाजवादी पार्टी ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं दिखती. शायद इसीलिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने संभावित उम्मीदवारों के नाम जाहिर कर दिए. दिल्ली की कुर्सी के रास्ते यूपी में कांग्रेस की 40 सीटों की डिमांड के सामने सपा की ओर से 10-15 सीटों की पेशकश देखकर बंटवारा जल्दी तय होता नहीं दिखता. यहां तक कि राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने से पहले अखिलेश ने सीट शेयरिंग तय करने की मांग कर दी है. लोकसभा चुनाव 2019 में सपा, बसपा और रालोद ने गठबंधन बनाकर क्रमश: 37, 38 और 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं, कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था.


महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव और एनसीपी का बड़ा दावा, कांग्रेस पर हमला 


महाराष्ट्र में कांग्रेस के सामने शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट को मनाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे नरम हैं तो उनकी जगह संजय राउत जीत का दावा करते हुए 23 सीटों पर हक जता रहे हैं. कांग्रेस 16 से 20 सीटों की मांग कर रही है. वहीं, एनसीपी भी 20 से ज्यादा सीटों के लिए रस्साकशी में जुटी है. इंडिया गठबंधन के अंदरखाने खींचतान के चलते महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग का मामला दिल्ली में सुलझाने की नौबत आ सकती है. इसके, अलावा बड़े राज्यों में भी कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. इनमें पूर्वोत्तर के राज्यों के नाम शामिल है. जम्मू कश्मीर, केरल, तमिलनाडु वगैरह राज्यों में क्षेत्रीय दलों के बीच कांग्रेस की बहस आगे बढ़ सकती है.