Mausam Update of 26 February 2024: आमतौर पर फरवरी का अंत आते- आते लोग अपनी गर्म जैकेट और जर्सियों को अलमारी में पैक करना शुरू कर देते हैं लेकिन इस बार मौसम का मिजाज कुछ पलटा हुआ नजर आता है. फरवरी खत्म होने में केवल 4 दिन बचे हैं. इसके बावजूद ठंड अब भी जारी है. पहाड़ों में जहां खूब बर्फबारी हो रही है. वहीं मैदानी इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है. दिल्ली-एनसीआर भी इस मौसम से अछूता नहीं है. यहां भी ठंड बार-बार लौटकर वापस वापस आ रही है. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें. अपने गर्म कपड़े अलमारी में पैक कर दें या अभी पहनते रहें. आखिर मौसम को इस बार हो क्या गया है और इसकी वजह क्या है. आज हम इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. उससे पहले हम आपको मौसम की ताजा भविष्यवाणी के बारे में बता देते हैं. 


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जम्मू- कश्मीर से कल से बारिश- बर्फबारी


जम्मू-कश्मीर में कल यानी 26 फरवरी को बादल छाए रहेंगे लेकिन बारिश-बर्फबारी नहीं होगी. हालांकि 27 फरवरी से प्रदेश में बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 27 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश/बर्फबारी हो सकती है. वहीं 28 फरवरी से 3 मार्च तक ज्‍यादा बारिश की संभावना है." 


कश्मीर- लद्दाख में माइनस में चल रहा तापमान


मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 0.5, गुलमर्ग में माइनस 10 और पहलगाम में माइनस 6 डिग्री रहा. लद्दाख क्षेत्र के लेह शहर में न्यूनतम तापमान माइनस 14.2, कारगिल में माइनस 18.1 और द्रास में माइनस 17.4 डिग्री रहा. जम्मू शहर में न्यूनतम तापमान 8.9, कटरा में 5.5, बटोटे में माइनस 0.5, भद्रवाह में माइनस 1.2 और बनिहाल में माइनस 1.4 डिग्री सेल्सियस रहा.


IMD के अनुसार इस वक्त पूरे भारत में मौसम आमतौर पर सामान्य है और फिलहाल तेज गर्मी की कोई संभावना नहीं है. अगले 2 दिनों में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र समेत उत्तर पश्चिम भारत में आंधी, बारिश और ओले गिरने की आशंका है. 


फरवरी में 5 बार हो चुकी है बारिश


दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो पिछले साल फरवरी में कोई बारिश नहीं हुई थी लेकिन इस बार फरवरी में अब तक 5 बार बारिश हो चुकी है. भारतीय मौसम विभाग ने इस बेमौसम बारिश के लिए पश्चिमी विक्षोभ को जिम्मेदार बताया है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वक्त उत्तर भारत में हो रही बेमौसमी बारिश के पीछे पश्चिमी विक्षोभ का बहुत बड़ा हाथ है. इसके चलते फरवरी में लगातार बारिश हो रही है. 


मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई से सितंबर तक होने वाली मॉनसूनी बारिश अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर गर्म हवाए बनने की वजह से होती हैं, जो बाद में जमीनी क्षेत्र के ठंड इलाकों की ओर चल पड़ती हैं और बारिश करती हैं. लेकिन सर्दियों में होने वाली बारिश पश्चिमी विक्षोभों की वजह से होती हैं. 


सर्दियों में कैसे होती है बरसात?


ये पश्चिमी विक्षोभ या उष्णकटिबंधीय तूफान नमी से भरी वे हवाएं हैं, जो सर्दियों में भूमध्य सागर या कैस्पियन सागर के ऊपर पैदा होती हैं. इसके बाद ईरान, पाकिस्तान को पार करते हुए उत्तर भारत में बारिश करती हैं. यह एक गैर-मानसूनी वर्षा पैटर्न है, जो पछुआ हवाओं की वजह से होता है. कम दबाव की वजह से उत्तर पश्चिम भारत में अचानक कोहरा, बारिश और बर्फबारी हो जाती है. 


सर्दियों में होने वाली यह बारिश रबी की फसलों जैसे गेहूं की बुआई के लिए बहुत जरूरी मानी जाती हैं. सर्दियों में आमतौर पर 4-5 बार पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बारिश हो जाती है. लेकिन इस बार दिसंबर और जनवरी लगभग सूखे ही चले गए, जिससे समय से गेहूं की बुआई हो ही नहीं पाई. अब बारिश शुरू हुई है तो काफी किसान गेहूं की बुआई कर रहे हैं. इसका असर गेहूं की कटाई में देरी के रूप में सामने आने की आशंका जताती जा रही है. 


पटरी से उतर सकती है रेन साइकल


कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सर्दियों में बारिश का चक्र बदल जाने का असर पूरे एग्रीकल्चर साइकल पर पड़ता है. इससे जहां रबी की फसलों की कटाई में देरी होगी, वहीं अगली खरीफ की फसलों की बुआई भी पिछड़ जाएगी. इससे खेती का पूरा चक्र पटरी से उतर जाएगा और किसानों समेत आम लोगों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.