Lok Sabha Election 2024: मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल एक देश एक चुनाव को लेकर गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी 18000 पन्नों की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी. इस हाई लेवल कमेटी ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की. साथ ही कहा कि इसके बाद 100 दिनों के अंदर लोकल म्युनिसिपल इलेक्शन कराए जा सकते हैं. 


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समिति ने सिफारिशों में कहा कि अगर किसी राज्य में त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी कोई स्थिति बनती है तो लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं. समिति ने कहा कि लोकसभा के लिए जब चुनाव होते हैं, तो उस सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के बाकी समय के लिए ही होगा. 


किन कानूनों में करना होगा संशोधन?


वहीं जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाओं का कार्यकाल-अगर जल्दी भंग नहीं हो जाएं- लोकसभा के पूरे कार्यकाल तक रहेगा. लेकिन समिति ने यह भी कहा कि ऐसा सिस्टम लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन करना पड़ेगा. समिति ने कहा, इस संवैधानिक संशोधन की राज्यों की तरफ से पुष्टि करने की जरूरत नहीं रह जाएगी.'


समिति ने यह भी सिफारिश की है कि चुनाव आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी तैयार करे. इसके लिए वोटर लिस्ट से जुड़े अनुच्छेद 325 को संशोधित किया जा सकता है. फिलहाल, चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराता है जबकि नगर निकायों और पंचायत चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोगों पर होता है.


किन दलों ने किया विरोध, कौन पक्ष में?


रामनाथ कोविंद की अगुआई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर 62 पार्टियों से कॉन्टैक्ट किया था. इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया. कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


विरोध में ये पार्टियां


राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रमुक, नागा पीपुल्स फ्रंट और समाजवादी पार्टी ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया. अन्य दलों में भाकपा (माले) लिबरेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) भी विरोध करने वाले राजनीतिक दलों में शामिल हैं.


पक्ष में ये पार्टियां


 बीजेपी और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अलावा अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिव सेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया.


इन्होंने नहीं दी प्रतिक्रिया


भारत राष्ट्र समिति, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू- कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल (सेक्युलर), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देसम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


(पीटीआई इनपुट के साथ)