Pakistan Election Result: एक बार फिर से पाकिस्तान चुनाव कोई भी स्पष्ट विजेता देने में विफल रहा है. इस मैंडेट के साथ पाकिस्तान की जनता के लिए कितना न्याय हो पाएगा, यह समय बताएगा. लेकिन यह बात जरूर है कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक उम्मीदवारों के मजबूत प्रदर्शन ने राजनीतिक परिदृश्य को उलट जरूर दिया है. सेना समर्थित पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को बहुमत हासिल करने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इस अनिश्चितता के बीच, पाकिस्तान में गठबंधन सरकार बनने की संभावना है. सेना अपनी पसंदीदा पार्टी को सत्ता में लाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएगी, जिससे राजनीतिक खरीद-फरोख्त का दौर शुरू हो सकता है. 


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लेकिन चुनाव परिणामों के विश्लेषण को भारत के नजरिए से भी समझने की जरूरत है. चाहे कोई भी प्रधानमंत्री बने, भारत को आतंकवादियों को पनाह देने वाले अपने समस्याग्रस्त पड़ोसी से निपटना ही होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल पाकिस्तानी नेता भारत के साथ संबंधों को कैसे संभालते हैं.


असल में चुनाव परिणाम के बाद पीएमएल-एन के प्रमुख नवाज शरीफ ने भारत के साथ संबंध सुधारने में रुचि व्यक्त की है. उनकी पार्टी के घोषणापत्र में भी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने का वादा किया गया था. यह देखना बाकी है कि क्या नवाज शरीफ अपनी बातों पर खरे उतरते हैं या नहीं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार के लिए किसी भी सकारात्मक संकेत का स्वागत जरूर करना चाहिए, लेकिन साथ ही उसे अपनी सुरक्षा के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए.


नवाज शरीफ के पीएम बनने के चांस अधिक, भारत को लेकर क्या है रुख
चुनाव से पहले ही पाकिस्तान में निर्वासन से लौटे नवाज शरीफ ने भारत की प्रगति और वैश्विक उपलब्धियों को स्वीकार किया है. उन्होंने दोनों देशों के बीच नए राजनयिक संबंधों की वकालत करते हुए कहा है कि यह समय राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर आगे बढ़ने का है. चूंकि शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने अभी तक नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल नहीं किया है, लेकिन वह गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में उनका पक्ष भी देखने लायक होगा.


बिलावल राजनीतिक परिवार से हैं
उधर 35 वर्षीय बिलावल भुट्टो-जरदारी, जो राजनीतिक भुट्टो परिवार के वंशज हैं, भी चुनावी मैदान में उतरे थे. उन्होंने भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की वकालत करते हुए कहा कि दोनों देशों को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए प्रयास करना चाहिए. हालांकि बिलावल भुट्टो-जरदारी का भारत पर रुख बहुआयामी रहा है. उन्होंने संबंधों को सामान्य बनाने की वकालत करते हुए अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचनात्मक टिप्पणी भी की थी.


इमरान 'राजनीतिक खिलाड़ी' बनकर उभरे, धर्म को ज्यादा आधार बनाया
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में आई तो खान ने 2019 में प्रधानमंत्री मोदी से "शांति को एक मौका देने" का आग्रह किया था, लेकिन धीरे-धीरे वे भारत के धुर आलोचक बनते चले गए. 2021 में, इमरान खान ने युद्धविराम समझौते का स्वागत किया था, जिसमें बातचीत के माध्यम से मुद्दों को संबोधित करने के लिए इस्लामाबाद की तत्परता पर जोर दिया गया. 


इमरान ने धर्म का भी खूब सहारा लिया, इस्लामिक देशों को इकट्ठा करने में लगे रहे. कश्मीर पर काफी आग उगलते हुए दिखाई दिए थे. अब चुनाव में भले है उनकी पार्टी मजबूत दिख रही है लेकिन उनकी पार्टी सिंबल से उम्मीदवार नहीं लड़ने पाए, कई आजाद उम्म्मीद्वार बने थे. इमरान खान की पीटीआई ने इस चुनाव व्यवस्था को भी खारिज कर दिया था.