...तो क्या लोकतंत्र नहीं `आतंकतंत्र` से चलेगी पाकिस्तान की सरकार? देख लीजिए कैसी होगी कैबिनेट
Hafiz Saeed Party: पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव है, लेकिन जनता के बीच दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी हाफिज सईद के गुर्गे चुनावी मैदान में हैं और पाकिस्तान को `आतंकतंत्र` के बूते चलाने की कोशिश कर रहे हैं.
Pakistan Election 2024: लोकतंत्र की परिभाषा है- जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन. जिसे अब्राहम लिंकन ने परिभाषित किया था. आज इसी मूल भावना से दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र चलता है. लेकिन, ऐसा लगता है इस बार पाकिस्तान में सबकुछ बदलने वाला है. हो सकता है आने वाले समय में पाकिस्तान लोकतंत्र से नहीं बल्कि 'आतंकतंत्र' से चले. क्योंकि, जनता के बीच दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी हाफिज सईद के गुर्गे चुनावी मैदान में हैं और पाकिस्तान को 'आतंकतंत्र' के बूते चलाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या पाकिस्तान की जनता की उम्मीदें होंगी पूरी
करीब 24 करोड़ की आबादी वाले पड़ोसी मुल्क में जनता को इंतजार है एक ऐसी सरकार का, जो उन्हे सस्ता आटा दे. उन्हे सस्ता चावल दे. काम दे. महंगाई से निजात दिलाए. चुनावी संग्राम में तमाम पार्टियां अपने-अपने दावे के साथ मैदान में है. 8 फरवरी, वो तारीख है. जब पाकिस्तानी जनता अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को वोट देकर चुनकर लाएगी. तो क्या इस चुनाव के बाद पाकिस्तान की जनता का इंतजार खत्म हो जाएगा? क्या परसों से भूख से मरती पाकिस्तानी जनता की उम्मीदें पूरी हो जाएंगी.
क्या पाकिस्तानी जनता को मिलेगी दमदार सरकार?
अगर पाकिस्तान को जनता को लगता है कि इस बार दमदार सरकार मिलेगी और असल लोकतंत्र देखने को मिलेगा तो उन्हें निराशा ही हाथ लगने वाली है, क्योंकि इस बार पाकिस्तान में सबकुछ बदलने वाला है. इस बार के चुनाव के बाद पाकिस्तान की हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो सकती है. वजह जानकर तो आप भी चौंक जाएंगे.
चुनावी मैदान में है हाफिज सईद की पार्टी
दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी. हिन्दुस्तान में कई आतंकी हमलों का सबसे बड़ा मास्टरमाइंट. मुंबई में 26/11 हमलों का दोषी. कत्लेआम और खून-खराबा जिसके रग-रग में भरा है. वो शख्स जिसके आतंक से दुनिया खौफ खाती है. लेकिन, 8 फरवरी को पाकिस्तान में होने वाले चुनाव में हाफिज सईद की पार्टी भी चुनावी मैदान में है.
क्या पाकिस्तान में होगी आतंकी सरकार?
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी समेत कई पार्टियां चुनावी मैदान में हैं. इस बीच ये बड़ी खबर सामने आई है कि एक नई पार्टी 'पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग' आम चुनावों में हिस्सा ले रही है. पाकिस्तान की पुरानी पार्टियों के बीच नई पार्टी की एंट्री से लोग चौंक गए. सवाल उठना लाजिमी था. इस सवाल के साथ एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान के चुनावी मैदान में आतंकी उम्मीदवारों का ढेर खड़ा है. शहर-दर-शहर आंतकियों का कुनबा चुनावी मैदान में उतर चुका है.
आपको ये जानकर और भी चकित हो जाएंगे. जब ये पता चला कि पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों से नामांकित कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो या तो हाफिज सईद के रिश्तेदार हैं या अतीत में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा या मिल्ली मुस्लिम लीग से जुड़े रहे हैं. इसका मतबल साफ है कि पाकिस्तान की सियासी चौसर पर आतंकी हाफिज सईद के प्यादे ताल ठोक रहे हैं. और खतरनाक आतंकी हाफिज सईद ने जेल में रहकर अपने दांव चल रहा है. यानी नई पार्टी 'पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग' का गठन किसी और नहीं बल्की खुद हाफिज सईद ने किया है.
'पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग' का चेहरा कौन?
देश को चलाने के लिए संविधान होता है. नीति, व्यवस्था और सिद्धांत होते हैं. उन्ही नियमों पर देश चलता है. उसी आधार पर कोई समाज संगठित और विकसित होता है. जरा कल्पना कीजिए, अगर बंदूक और बम के जोर पर हाफिस सईद की पार्टी की सरकार बन गई तो पाकिस्तान कैसा होगा? कल्पना कीजिए अगर पाकिस्तान की सरकार में हाफिज सईद के गुर्गों की कैबिनेट बन गई तो पाकिस्तान कैसा होगा? पार्टी हाफिज की है और वो आतंकियों का सरदार है तो लाल हॉट सीट पर बैठने का अधिकार भी हाफिज का होगा. उसके सामने बैठे होंगे... पाकिस्तान के गृह मंत्री, एक्सपीरियंस- बम बनाने में माहिर! दूसरी तरफ पाकिस्तान के विदेश मंत्री, एक्सपीरियंस- घुसपैठ कराने में उस्ताद! पाकिस्तान के रक्षा मंत्री, एक्सपीरियंस- अपहरण के विशेषज्ञ! पाकिस्तान के कानून मंत्री, एक्सपीरियंस- कानून तोड़ने के महारथी! पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री, एक्सपीरियंस- हत्या करवाने में पीएचडी! पाकिस्तान के सूचना मंत्री, एक्सपीरियंस- झूठ और अफवाह के खिलाड़ी!
चुनाव में नई पार्टी के जरिए किसने चली नई चाल ?
हालांकि आम चुनाव के बाद ये पाकिस्तान सरकार की ये कैबिनेट काल्पनिक जरूर है. लेकिन, अगर बन गई तो तस्वीर कुछ ऐसी ही होगी. अगर तस्वीर ऐसी बन गई तो पाकिस्तान की जनता का क्या होगा? पाकिस्तान का क्या होगा? पड़ोसी मुल्कों का क्या होगा. ये सोचना होगा. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के लोकतंत्र को 'आतंकतंत्र' में बदले की हाफिज ने कोई पहली बार कोशिश की है. उसका प्लान पुराना था, लेकिन आज उसने आमली जामा पहना दिया. 2018 में भी कुछ ऐसी ही कोशिश की गई थी. जब जमात-उद-दावा से जुड़े कुछ लोगों ने 'मिल्ली मुस्लिम लीग' पार्टी से भाग लेने की कोशिश की थी. लेकिन, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तत्कालीन सरकार के विरोध के बाद संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था और पंजीकरण के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया था. आवेदन खारिज होने के बाद पार्टी के उम्मीदवारों को अल्लाहु अकबर तहरीक नामक एक अज्ञात पार्टी से चुनाव में भाग लेना पड़ा था, जिसे चुनाव में कोई बड़ी सफलता नहीं मिल सकी थी.