Supreme Court Judgement: 35 साल पुराने विवाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की संविधान पीठ ने 8-1 से कहा कि खनिज संसाधनों पर टैक्स लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है. बेंच ने यह भी कहा कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. SC ने 1989 में सात जजों की बेंच के फैसले को खारिज कर दिया. जस्टिस बी वी नागरत्ना ने अपने फैसले में इससे असहमति जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी असर हो सकता है. फैसले के बाद, बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं.


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बिजली की कीमतों पर असर


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम उपभोक्ताओं की जेब और ढीली हो सकती है. सरकारी और निजी क्षेत्र के कोल माइनर्स के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि जैसे ही राज्य कोयले पर अपना टैक्स लगाएंगे, पावर टैरिफ पर असर पड़ेगा. कोयला उत्पादक राज्यों द्वारा लगाए गए किसी भी अतिरिक्त टैक्स का भार उपभोक्ताओं पर डालेंगे. उत्पादन कंपनियां लागत वसूलने के लिए टैरिफ बढ़ाएंगी.


कोयला कंपनियों के लिए, कोई भी अतिरिक्त टैक्स बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने की उनकी क्षमता को प्रभावित करेगा. कई तरह के टैक्स और लेवी के चलते मार्जिन कम हो गया है. अगर टैक्स को रेट्रोस्पेक्टिवली यानी अतीत से लागू किया गया तो असर और भयानक होगा.


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SC का यह फैसला क्यों अहम?


सुप्रीम कोर्ट ने खनिज संपदा से संपन्न राज्यों के लिए राजस्व जुटाने का एक और रास्ता खोल दिया है. राज्यों को पहले ही खनिज रॉयल्टी मिलती है. SC के फैसले से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा को फायदा होगा.


प्रमुख खनिज कौन-कौन से हैं?


भारत के प्रमुख खनिजों में कोयला, लोहा, तांबा, एल्युमीनियम, जस्ता, सीसा, मैंगनीज, मैग्नीशियम जैसे धातुओं के अयस्क, तथा चूना पत्थर, सोना, हीरे शामिल हैं.


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केंद्र और राज्यों में होगी खींचतान


खनिज संसाधनों से राजस्व जुटाने को लेकर केंद्र और राज्यों में खींचतान पैदा हो सकती है. इसकी आशंका जस्टिस बी वी नागरत्ना ने भी जताई. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अगर खनिज संसाधनों पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को दे दिया गया तो इससे संघीय व्यवस्था चरमरा जाएगी. क्योंकि वे आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगे और खनिज विकास खतरे में पड़ जाएगा.