Mohua Moitra Cash For Query Case: तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. दिसंबर, 2023 में लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने कैश फॉर क्वेरी यानी संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने के मामले में कार्रवाई करते हुए महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी. कमेटी की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को 'अनैतिक और अशोभनीय आचरण' का जिम्मेदार ठहराया गया था.


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सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई संसद के बजट सेशन से पहले सुनवाई की मांग 


सुप्रीम कोर्ट में लोकसभा के महासचिव की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और महुआ मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की थी. मोइत्रा ने अपनी याचिका में लोकसभा से निष्कासन की सिफारिश करने वाली लोकसभा की एथिक्स कमेटी पर पर्याप्त सबूत के बिना फैसले लेने और मनमानी का आरोप लगाया. इसके साथ ही निष्कर्षों पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बचाव करने की इजाजत नहीं दिए जाने की बात भी कही है. सिंघवी की बजट सेशन को लेकर फरवरी में सुनवाई करने और राहत देने की गुहार को भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया.


लोकसभा महासचिव के बाद याचिकाकर्ता चाहे तो दे सकता है जवाब


महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है. बेंच ने कहा कि एक मुद्दा लोकसभा की कार्रवाई की समीक्षा करने के लिए अदालत का अधिकार क्षेत्र है. लोकसभा महासचिव के जवाब के बाद अगर याचिकाकर्ता चाहेगा तो उसके पास भी जवाब दाखिल करना का विकल्प होगा. 


महुआ मोइत्रा की याचिका पर 11 मार्च, 2024 को होगी अगली सुनवाई


महुआ मोइत्रा की लोकसभा कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत देने की मांग वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए  11 मार्च, 2024 की तारीख दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2023 को मामले की सुनवाई की थी. तब जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि महुआ मोइत्रा की याचिका की फाइल पढ़ने का मौका नहीं मिल सका. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 3 जनवरी, 2024 तक टाल दी थी. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के भीतर न्यायिक समीक्षा की शक्ति का जिक्र क्यों हुआ?


लोकसभा का अधिकार और न्यायिक समीक्षा की शक्ति क्या है


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई के दौरान अधिकार क्षेत्र और न्यायिक समीक्षा की शक्ति सहित सभी मुद्दों की जांच का जिक्र किया. लोकसभा की कार्यवाही को लेकर संसद की समिति ही अपने पहले के फैसले की समीक्षा कर सकती है. इसमें संसद का ही विशेषाधिकार है कि वह फैसले पर फिर से विचार करना चाहती है या नहीं. लोकसभा की एथिक्स कमेटी और विशेषाधिकार कमेटी का दर्जा अलग-अलग है.


वहीं, सुप्रीम कोर्ट याचिका आने पर सांसद के मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के मामले में कोई विचार कर सकता है. हालांकि, इसके लिए याचिका करने वाले को साबित करना होगा कि एथिक्स कमेटी ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सिफारिश की है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट में महुआ मोइत्रा मामले की सुनवाई के दौरान राजाराम पाल वाले मामले का भी जिक्र आया था. साल 2005 में पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में राजाराम पाल फंस चुके हैं.


क्या है महुआ मोइत्रा से जुड़ा कैश फॉर क्वेरी का पूरा मामला


पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाए गए. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के जरिए महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को शिकायत भेजी थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि महुआ मोइत्रा ने संसद की वेबसाइट पर एक सीक्रेट खाते में लॉग-इन करने के लिए हीरानंदानी को अपनी लोकसभा की आईडी और पासवर्ड दे दिया था. जिससे वह सवाल को सीधे पोस्ट कर सके.  


संसद सदस्यता गंवाने के बाद भाजपा पर ज्यादा हमलावर हुईं महुआ मोइत्रा


महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के लोगों को लोकसभा की लॉग-इन आईडी देने की बात कबूल की, लेकिन हीरानंदानी से कोई गिफ्ट लेने से इनकार किया था. संसद सदस्यता रद्द किए जाने के बाद 8 दिसंबर, 2023 को संसद भवन के बाहर महुआ मोइत्रा ने भाजपा पर कड़े जुबानी हमले किए थे. उन्होंने कहा था,"मैं 49 साल की हूं और अगले 30 साल तक मैं आपसे संसद के अंदर और बाहर लड़ूंगी. हम आपका (भाजपा) अंत देखेंगे... यह आपके अंत की शुरुआत है, हम वापस आने वाले हैं."


 
चृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के कई दलों के लगभग 150 सांसदों को भी बाहर निकाला गया था. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सड़क से सदन तक काफी हंगामा किया था.