Vinesh Phogat Olympics Disqualified: कुश्‍ती की दुनिया में विनेश फोगाट पहली भारतीय महिला एथलीट थीं जो रेसलिंग के फाइनल में पहुंची थीं. लग रहा था कि वो अपनी मां और देश से किया वादा पूरा करेंगी. विनेश ने अपनी मां से पेरिस जाने से पहले वादा किया था कि अम्‍मा गोल्‍ड लाना है गोल्‍ड, उससे नीचे कुछ नहीं. उनकी फ्रेंड और रियो ओलंपिक में पदक लाने वाली साक्षी मलिक ने भी कल टीवी पर कहा था कि विनेश अक्‍सर उनसे कहती थीं कि उनके पास ओलंपिक का मेडल मिसिंग है. इसको लाना है. पिछले दो बार से उनको ओलंपिक में सफलता नहीं मिली लेकिन इस बार मंजर कुछ अलग था.


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पहले ही मैच में जिस तरह से विनेश फोगाट ने डिफेंडिंग चैंपियन को आक्रामक खेलते हुए हराया था उसके बाद ही लगने लगा था कि इस बार विनेश का मूड एकदम अलग है और तैयारी एकदम दुरुस्‍त. उसके बाद उसी दिन कुछ घंटों के अंतर पर उन्‍होंने क्‍वार्टर और सेमीफाइनल खेलकर अपने सभी विरोधियों को धराशायी कर दिया. एक दिन में तीन मैच खेलकर जीतना किसी भी रेसलर के लिए आसान नहीं होता. लेकिन विनेश ने एकदम धाकड़ अंदाज में जीता ही नहीं बल्कि जिस आक्रामक तेवर से खेला उसको देखकर सब दंग रह गए. ऐसा इसलिए क्‍योंकि अक्‍सर देखा जाता है कि जब इस तरह के बड़े ओलंपिक इवेंट में कोई एथलीट गेम में बढ़त बना लेता है तो वह कुछ डिफेंसिव होकर मैच में उस बढ़त को बनाए रखने की कोशिशों में लग जाता है और मैच के टाइम के खत्‍म होने का इंतजार करता है लेकिन विनेश के पेरिस ओलंपिक के सभी मैचों में आप इससे एकदम उलट तस्‍वीर देखेंगे. हर मैच के पहले सेकंड से ही जिस तरह से आक्रमण की उनकी रणनीति रही है वो बढ़त मिलने के बाद भी डिफेंसिव नहीं हुई. बल्कि उससे उनको हौसला मिला और वो अधिक मजबूती से विपक्षी प्‍लेयर पर हावी होती दिखीं. सिर्फ इसी तकनीक से उन्‍होंने अपने पहले मैच में उस खिलाड़ी को हरा दिया जो अविजित मानी जाती थी. जिसके साथ मैच होने की घोषणा मात्र से विपक्षी प्‍लेयर का हौसला कमजोर हो जाता था लेकिन उस भारी-भरकम नाम के आने के बावजूद विनेश का कुछ फर्क नहीं पड़ा.


Vinesh Phogat Disqualified: ओलंपिक से भारत के लिए बुरी खबर, मेडल की रेस से बाहर हो गईं विनेश फोगाट


अग्निपथ...अग्निपथ...अग्निपथ
बस मैच शुरू होते ही हाथ मिलाने के साथ ही विनेश ने पहला हमला कर दिया. फिर क्‍या था देखते ही देखते विनेश हावी होती चली गईं. जो दांव मैच का टर्निंग प्‍वाइंट बना वो तो देखने लायक है. उसके बाद के क्‍वार्टर और सेमीफाइनल में भी यही देखने को मिला...


लेकिन उसके बाद अगली सुबह सिर्फ विनेश नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का दिल तोड़ने वाली खबर के साथ हुई. जिस 50 किग्रा वर्ग में विनेश को फाइनल खेलना था, मैच से पहले हुए वजन मापने के टेस्‍ट में उनका भार महज 100 ग्राम अधिक बताया गया और उनको ओलंपिक की रेस से बाहर कर दिया गया. नियम के हवाला देते हुए भले ही उनको बाहर कर दिया गया लेकिन दुनिया की कोई भी ताकत या नियम उस हौसले को नहीं तोड़ सकती जो जज्‍बा, हौसला एक दिन पहले तक विनेश ने दिखाया था. 


100 ग्राम के चक्कर में बाहर हो गईं विनेश फोगाट, आखिर क्या कहता है ओलंपिक का रूल?


अब उस जज्‍बे, हिम्‍मत को फाइनल खेलने का मंच नहीं मिलेगा. विनेश समेत पूरे भारत का इस दुखद खबर के साथ दिल भले टूट गया हो लेकिन हमारा हौसला 100 ग्राम जितना हल्‍का नहीं है. हम आज रेस से बाहर हुए तो क्‍या हुआ, हम फिर लौटेंगे और धाकड़ अंदाज में जीतेंगे. 


भारत जैसा युवा देश जहां विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की राह पर बढ़ चला है वहां पर नियम के रूप में कागज का कोई रुक्‍का हमारी उड़ान नहीं रोक सकता. आज भले ही विनेश का दिन नहीं हो लेकिन जल्‍द ही वो नया दिन किसी भी नए रूप में आएगा...हम फिर लौटेंगे...हम फिर जीतेंगे.