फिल्म इंडस्ट्री जितनी फेमस है, उतने ही दाग भी लगते रहे हैं. कई बार ग्लैमर से सजी दुनिया से कई घिनौनी सच्चाई सामने आती है. लेकिन इस बार चौंकाने वाले खुलासे साउथ फिल्म इंडस्ट्री से हुए हैं. वो भी मलयालम उद्योग से. मलयालम सिनेमा को शानदार कंटेंट और जोरदार फिल्मों के लिए जाना जाता है. मोहनलाल से लेकर ममूटी जैसे सुपरस्टार इसी इंडस्ट्री से आते हैं. मगर आजकल हेमा समिति की रिपोर्ट के चलते मलयालम इंडस्ट्री में हंगामा बरपा हुआ है. दरअसल ये मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ यौन शोषण, लैंगिक भेदभाव और अमानवीय व्यवहार को लेकर बड़े खुलासे करती है. देश में कई भाषाओं में इंडस्ट्री हैं मगर ये पहला मौका है जहां इस तरह की कोई रिपोर्ट सामने आई है. चलिए इस एक्सप्लेनर स्टोरी में बताते हैं आखिर ये रिपोर्ट क्या है, क्या इसके मायने है, यहां के सेलेब्स का क्या कहना है आदि.


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19 अगस्त, सोमवार को केरल सरकार ने हेमा कमिटी रिपोर्ट को रिलीज किया. साढ़े चार साल बाद 233 पन्नों की ये रिपोर्ट मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले शोषण और भेदभाव की पोल खोलती है. अब इससे क्या कुछ बदलेगा ये तो समय ही बताएगा, लेकिन चलिए बताते हैं आखिर इंडस्ट्री की किन काली करतूतों को ये बयां करती है.


7 साल पहले ऐसा क्या हुआ था
इस रिपोर्ट को समझने से पहले आपको 7 साल पहले फ्लैशबैक में जाना होगा. 17 फरवरी 2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से दर्दनाक खबर सामने आई थी जिसने सबको हिलाकर रख दिया था. इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था और फिर उसका यौन उत्पीड़न किया. इस मामले में एक फेमस एक्टर को भी गिरफ्तार किया गया था. घटना के बाद से केरल में काफी आक्रोश फैल गया था. साथ ही इंडस्ट्री की भी काफी किरकिरी हुई थी. तभी वूमन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) का गठन किया गया. 


क्या है हेमा कमिटी रिपोर्ट
तब केरल उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के हेमा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. इस कमेटी ने साल 2019 में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 295 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में इंडस्ट्री के सैकड़ों महिला कलाकारों, आर्टिस्ट और लोगों से बातचीत कर बयानों को रिकॉर्ड किया गया. मगर सरकार ने इस रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया.


इतने साल बाद क्यों सामने आई रिपोर्ट
अब आरटीआई के बाद केरल सरकार ने 295 पन्नों की रिपोर्ट से 63 पन्नों को हटाकर इसे जारी किया है. इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों में न्यायामूर्ति के हेमा, एक्ट्रेस शारदा, सेवानिवृत आईएस अधिकारी के बी वलसा कुमारी शामिल थे.


रिपोर्ट में मुद्दे
कास्टिंग काउच
यौन शोषण
फिल्म सेट पर सुरक्षा
सेट पर गलत बर्ताव
परिणामों का डर
साइबर धमकी
मासिक धर्म में महिलाओं की स्थिति


मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के काले सच
इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले अनुभवों को भी शेयर किया गया है. जैसे एक फेमस एक्टर ने कमेटी को बताया कि यहां एक लॉबी काम करती है. जो काफी ताकतवर है. काम करने का तरीका बिल्कुल माफियाओं की तरह है. वह किसी को भी बैन कर सकते हैं. बेशक कोई रूल ऐसा हो या नहीं. वहीं कुछ जूनियर कलाकारों और हेयर स्टाइलिस्ट ने बताया कि जूनियर कलाकारों का हाल तो और भी खराब है. उनके साथ तो गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता है.


वहीं रिपोर्ट ये भी बताती है कि टॉयलेट जैसी सुविधा इन कलाकारों को नहीं मिलती है. महिलाओं के साथ यौन शोषण तो आम है. कास्टिंग काउच कोई नई बात नहीं है. कोडवर्ड में बातें की जाती है. अगर कोई महिला समझौता नहीं करेगी तो काम भूल जाए. रिपोर्ट ये भी बताती है कि इंडस्ट्री को लगता है कि औरतों यहां सिर्फ फेमस होने या पैसा कमाने आई हैं. ऐसा करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है. सोने के लिए राजी भी हो जाएंगी.


क्यों देर से रिपोर्ट को किया गया रिलीज
हेमा कमिटी की रिपोर्ट को देर से जारी करने को लेकर काफी आलोचनाएं भी हुई. कांग्रेस के शशि थरूर ने भी इसे शर्मनाक और शॉकिंग कहा था कि 5 साल तक इस रिपोर्ट को साझा नहीं किया गया. वहीं, केरल सरकार का कहना है कि उन्होंने संवेदनशील जानकारी और गोपनीयता संबंधी चिंताओं को देखते हुए इसे जारी नहीं किया था. खुद जस्टिस हेमा ने पत्र लिखकर सरकार से कहा था कि सेंसटिव जानकारी को साझा न किया जाए.


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सेलेब्स का क्या कहना है
मलयालम फिल्मों के फेमस एक्टर टोविनो थोमस ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में इस रिपोर्ट पर अपना रिएक्शन दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हर कोई गलत चीजों का साना कर रहा है. दूसरी इंडस्ट्री की तरह इस इंडस्ट्री में भी समस्याएं हैं. लेकिन ये कहना गलत है कि सिर्फ मलयालम फिल्म उद्योग में ही ये सब हो रहा है. वह इस फिल्म जगत का हिस्सा हैं और उन्हें दुख होता है.