Syria Crisis: अबू मोहम्मद अल-गोलानी कौन है? जिसने सीरिया में भड़काया गृहयुद्ध, अमेरिका-इजरायल-ईरान भी परेशान
Who Is The Leader Of Syria`s Rebel Offensive: सीरियाई विद्रोही समूह और आतंकी संगठन इस्लामिस्ट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) समूह के सरगना अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने अलेप्पो पर फिर से कब्ज़ा कर लिया. इसे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के लिए एक बड़ा झटका बताया जा रहा है.
Who Is Abu Mohammed al-Jolani: अबू मोहम्मद अल-जवलानी, अबू मोहम्मद अल-जुलानी और अबू मोहम्मद अल-जोलानी नाम से भी जाना जाने वाला अबू मोहम्मद अल-गोलानी मिडिल-ईस्ट, खासकर सीरिया और उसके आसपास एक्टिव कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिस्ट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) समूह का सरगना है. उसने पिछले हफ़्ते सीरिया मे गृहयुद्ध को भड़काकर उसके सबसे बड़े शहरों में से एक अलेप्पो पर फिर से कब्ज़ा कर लिया था.
सीरिया के अलावा, अमेरिका, इजरायल और ईरान के नाक में दम
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए यह एक बड़ा झटका बताया जा रहा है. अबू मोहम्मद अल-गोलानी सीरिया के अलावा अमेरिका, इजरायल और ईरान के लिए भी सरदर्द की तरह बना हुआ है. अमेरिका ने अल-गोलानी के सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ है. अल-गोलानी और उसका समूह इजरायली यानी यहूदियों को दुश्मन मानता है. जबकि कुख्यात इस्लामी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने अल-गोलानी को धर्मद्रोही घोषित कर दिया था. उसकी ओर से अल-गोलानी को जान से मारने की धमकी भी दी जा चुकी है.
अल-गोलानी के चलते 13 साल बाद फिर सुर्खियों में सीरियाई गृहयुद्ध
एचटीएस सरगना अल-गोलानी के एक्शन के चलते सीरिया का गृहयुद्ध 13 साल बाद एक बार फिर से दुनिया भर की सुर्खियों में है. सीरियाई गृहयुद्ध की अग्रिम पंक्ति में कई वर्षों तक कम कार्रवाई के बाद, कट्टर इस्लामवादी आतंकी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) समूह के नेतृत्व में विद्रोहियों ने 26 नवंबर को अपना आश्चर्यजनक हमला शुरू किया और 2016 से राष्ट्रपति बशर अल-असद शासन के नियंत्रण में रहे अलेप्पो शहर पर कब्ज़ा कर लिया. आइए, अल-गोलानी के बारे में और अधिक जानने की कोशिश करते हैं.
असली नाम, जन्मतिथि, जन्म स्थान और नागरिकता पर कई जानकारियां
बीबीसी मॉनिटरिंग के मुताबिक, अबू मोहम्मद अल-गोलानी का असली नाम, वास्तविक जन्मतिथि, जन्म स्थान और नागरिकता को लेकर कई सारी जानकारियां फैलाई गई हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, गोलानी का जन्म 1975 से 1979 के बीच हुआ था. वहीं, इंटरपोल के मुताबिक, उसके जन्म का साल 1975 है. अमेरिकी टीवी नेटवर्क पीबीएस के अनुसार, उसका असली नाम अहमद हुसैन है. उसने चैनल को दिए इंटरव्यू में खुद बताया था कि उसका जन्म 1982 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुआ था.
सऊदी अरब के रियाद में हुआ था जन्म, इजरायल के चलते भागना पड़ा
न्यू अरब के अनुसार, अबू मोहम्मद अल-गोलानी का जन्म 1982 में सऊदी अरब के रियाद में अहमद हुसैन अल-शरा के रूप में हुआ था. सीरिया के गोलान हाइट्स से ताल्लुक रखने वाले उसके माता-पिता को 1967 में इजरायल द्वारा इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद भागना पड़ा था. द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, 42 वर्षीय अल-गोलानी ने अपने परिवार की जड़ों को ध्यान में रखते हुए ही अपना नाम रख लिया था. अल-गोलानी और उसका परिवार 1989 में वापस सीरिया लौट आया था.
इराक युद्ध में अल-गोलानी गिरफ्तार, अमेरिकी जेल में बिताए पांच साल
मार्च 2003 में, अल-गोलानी दमिश्क से बगदाद जाने वाली बस में सवार हुआ. वह इराक पर आक्रमण करने के लिए तैयार अमेरिकी सैनिकों से लड़ने के लिए रवाना हुआ था. इराक में, अल-गोलानी को युद्ध के दौरान पकड़ लिया गया था. इसके बाद उसने अगले पांच साल अमेरिका द्वारा संचालित जेल शिविर में बिताए. जब वह 2011 में नकदी से भरे बैग और इस्लामिस्ट मिशन के साथ सीरिया लौटा, तब तक अल-गोलानी इस्लामिक स्टेट के संस्थापक अबू बकर अल-बगदादी का प्रतिनिधि बन चुका था. उसी दौरान सीरियाई गृहयुद्ध भी शुरू हुआ था.
अल-कायदा की सीरियाई शाखा जबात अन-नुसरा से आतंकी शुरुआत
न्यू अरब के अनुसार, अल-गोलानी अल-कायदा की सीरियाई शाखा जबात अन-नुसरा में शामिल हो गया, जो असद के साथ-साथ उदारवादी फ्री सीरियन आर्मी से भी मुकाबला कर रही थी. बाद में इस्लामिक स्टेट मूल आतंकी संगठन अल-कायदा से अलग हो गया. इसके अगले साल अल-गोलानी इस्लामिक स्टेट से अलग हो गया. क्योंकि इस्लामिक स्टेट अपनी वैश्विक खिलाफत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था. वहीं, अल-गोलानी को लगा कि उसका असली दुश्मन असद है. इसके बाद इस्लामिक स्टेट ने अल-गोलानी को धर्मद्रोही घोषित कर दिया. इस आरोप की सजा सिर्फ मौत है.
अल-गोलानी ने 2017 में किया था हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का गठन
अब तक, अल-गोलानी का जबात अन-नुसरा इस्लामिक स्टेट के साथ कई लड़ाइयों में भिड़ चुका था. वह अक्सर उदारवादी सीरियाई विद्रोहियों के साथ लड़ रहा था. बाद में अल-गोलानी ने साल 2016 में अल-कायदा से भी संबंध तोड़ लिए. अगले साल 2017 में, उसने सीरियाई इस्लामिस्ट आंदोलन के कई गुटों को मिलाकर एक नए आतंकी गिरोह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का गठन किया. यह 2011 में बने अल-नुसरा फ्रंट का उत्तराधिकारी था.
इस्लामिक स्टेट या सऊदी अरब के अनुसार नहीं चलने का किया फैसला
न्यू अरब के अनुसार, हयात तहरीर अल-शाम (HTS) इदलिब के बड़े हिस्से पर शासन करता है. उसने खुद को सीरियाई साल्वेशन गवर्नमेंट (SSG) के रूप में स्थापित किया है. हालांकि एचटीएस अल-कायदा से अलग हो गया, लेकिन शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इसमें अत्याचार और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. अल-गोलानी ने एचटीएस के आंतरिक पुलिस बलों में सुधार करके, इसके जनरल शूरा काउंसिल के लिए नए चुनावों की घोषणा करके और स्थानीय परिषदों और यूनियनों को बनाने का वादा करके जवाब दिया. अल-गोलानी ने कहा है कि एचटीएस का शासन इस्लामी होना चाहिए, "लेकिन इस्लामिक स्टेट या यहां तक कि सऊदी अरब के मानकों के अनुसार नहीं."
धूम्रपान पर प्रतिबंध नहीं, महिलाओं को छूट, मोरल पुलिस की गश्ती बंद
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, एचटीएस ने धूम्रपान पर प्रतिबंध नहीं लगाया है और न ही महिलाओं को अपना चेहरा ढंकने की आवश्यकता पर जोर दिया है. मोरल पुलिस ने जनवरी 2022 तक सड़कों पर गश्त करना भी बंद कर दिया था. अल-गोलानी ने एचटीएस को आतंकवादी समूह करार दिए जाने को "अनुचित" बताया है. अल-गोलानी के हवाले से कहा गया, "सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि [इदलिब] यूरोप और अमेरिका की सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं है. यह क्षेत्र विदेशी जिहाद को अंजाम देने का मंच नहीं है."
अल-गोलानी का अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से अलग होना कितना सच
वहीं, इस्लामिक आतंकी संगठनों के विशेषज्ञ कहते हैं कि अल-गोलानी का अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से अलग होना सच है. हालांकि, कई लोगों को इस बात पर यकीन नहीं होता. वैसे, वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी के वरिष्ठ फेलो और एचटीएस पर हाल ही में लिखी गई किताब के लेखक आरोन ज़ेलिन ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, "इस्लामिक स्टेट और अलकायदा से उसका और उसके समूह का अलग होना बहुत वास्तविक है. वे इन संस्थाओं का हिस्सा नहीं रहे हैं, जितना वे उनके साथ थे, और अब लगभग साढ़े आठ साल हो गए हैं, जब से उन्होंने वैश्विक जिहाद का त्याग किया है."
वैचारिक के मुकाबले ज्यादा व्यावहारिक और उपयोगितावादी हो गोलानी
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ सलाहकार डेरेन खलीफा ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, "एचटीएस नेतृत्व यानी अल-गोलानी व्यावहारिक और उपयोगितावादी है, और कम वैचारिक है. गोलानी कोई मौलवी नहीं है. वह एक राजनेता है जो सौदे करने के लिए तैयार रहता है और बहुत सी चीजों पर समझौता करने को तैयार रहता है - सिवाय शासन के खिलाफ लड़ने के. इस आदमी की महत्वाकांक्षा को कम मत समझो."
बेवकूफ़ चरमपंथी नहीं है अल-गोलानी, अल्पसंख्यकों पर बदला पुराना विचार
मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष और आतंकवाद निरोधक संचार के लिए पूर्व विदेश विभाग समन्वयक अल्बर्टो मिगुएल फर्नांडीज ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, "उसने खेल खेलना सीख लिया है. उसके पास अभी भी वह है जिसे हम चरमपंथी विचारधारा कहेंगे, लेकिन वह बेवकूफ़ चरमपंथी नहीं है, बल्कि राष्ट्रवादी चरमपंथी है. गोलानी जानता है कि उसे अपने लहज़े को संयमित करना होगा, खासकर अल्पसंख्यकों पर और वह ऐसा करने और करते दिखने की कोशिश भी करता रहता है."
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