What Is Happening In Syria's Aleppo: सीरिया के सबसे बड़े शहरों में से एक और कभी संपन्न वाणिज्यिक केंद्र रहे अलेप्पो पर सीरियाई विद्रोही बलों के हैरतअंगेज हमले ने 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. यह अटैक सीरिया में वर्षों से जारी संघर्ष के दौरान अब तक हुए विद्रोहियों के सबसे खतरनाक हमलों में से एक है.
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Surprise Rebel Attack In Syria: सीरिया में इस्लामी आतंकवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विपक्षी लड़ाकों ने इस सप्ताह सरकार के नियंत्रण वाले शहरों में अचानक सिलसिलेवार कई हमला किया. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनके सहयोगियों द्वारा बाहर निकाले जाने के लगभग एक दशक बाद विद्रोही फिर से अलेप्पो पहुंच गए. इस हैरतअंगेज हमले ने सीरिया में 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.
सीरिया के अलेप्पो में विद्रोहियों का सबसे खतरनाक हमला
सीरिया के सबसे बड़े शहरों में से एक और कभी संपन्न वाणिज्यिक केंद्र रहे अलेप्पो पर सीरियाई विद्रोही बलों द्वारा किए गए हैरतअंगेज हमले से गृहयुद्ध के फिर से सुर्खियों में आने की कई वजहें हैं. सीरिया में वर्षों से जारी संघर्ष के बीच यह विद्रोहियों के अब तक के सबसे खतरनाक हमलों में से एक है. इसका असर देश की सीमाओं से कहीं आगे तक फैल गए हैं. आइए, जानते हैं कि इस हमले के पीछे कौन है और यह लड़ाई क्यों मायने रखती है? साथ ही इस नई लड़ाई के कुछ प्रमुख पहलुओं पर एक नज़र डालते हैं.
पश्चिम एशिया में एक और घातक मोर्चे के फिर से खुलने की आशंका
अमेरिका समर्थित इजरायल, गाजा में ईरान के सहयोगी हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह से लड़ रहा है. अब सीरिया में ताजा संघर्षों की बढ़त ने पश्चिम एशिया में एक और घातक मोर्चे के फिर से खुलने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है. सीरिया के अलेप्पो में विद्रोहियों यानी विपक्षी लड़ाकों ने बुधवार को अपना आश्चर्यजनक हमला शुरू किया. उसी दिन इजरायल और ईरान द्वारा समर्थित एक आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह ने पड़ोसी देश लेबनान में एक नाजुक मोड़ पर आकर युद्धविराम का ऐलान किया था.
उत्तर-पश्चिमी सीरिया में मौजूदा स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
सीरिया में विद्रोहियों ने शुक्रवार तक अलेप्पो के उत्तरी प्रांत में एक दर्जन शहरों और गांवों पर नियंत्रण कर लिया था. इस इलाके पर सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का नियंत्रण था, जिसे ईरान और रूस दोनों का समर्थन प्राप्त था. फिर सारे विद्रोही अलेप्पो के पश्चिमी जिलों में घुस गए, जो युद्ध से पहले लगभग दो मिलियन लोगों का शहर था. सीरिया के ताजा संकट के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप क्षेत्रीय मानवीय समन्वयक डेविड कार्डन ने कहा: "हम उत्तर-पश्चिमी सीरिया में सामने आ रही स्थिति से बहुत चिंतित हैं."
डेविड कार्डन ने रॉयटर्स को बताया, "पिछले तीन दिनों में लगातार हमलों में सीरिया में कम से कम 27 नागरिकों की जान चली गई है, जिनमें आठ साल की उम्र के बच्चे भी शामिल हैं." सीरियाई सरकारी समाचार एजेंसी SANA ने बताया कि शुक्रवार को अलेप्पो में विद्रोहियों द्वारा विश्वविद्यालय के छात्रावासों पर की गई गोलाबारी में दो छात्रों सहित चार नागरिक मारे गए. यह स्पष्ट नहीं है कि वे संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी द्वारा बताए गए 27 मृतकों में शामिल थे या नहीं.
2016 में भी अलेप्पो पर विद्रोहियों ने कर लिया कब्जा, कैसे पीछे हटे?
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, चल रही लड़ाई में मरने वालों की संख्या बढ़कर 182 हो गई है, जिसमें HTS के 102 लड़ाके और सहयोगी बलों के 19 लड़ाके शामिल हैं. असद और उसके सहयोगी रूस, ईरान और क्षेत्रीय शिया मिलिशिया ने 2016 के अंत में अलेप्पो शहर पर फिर से कब्ज़ा कर लिया था, जिसमें विद्रोहियों ने महीनों की बमबारी और घेराबंदी के बाद वापस जाने पर सहमति जताई थी. इस कार्रवाई ने विपक्ष के खिलाफ़ रुख मोड़ दिया था.
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, जैश अल-इज्जा विद्रोही ब्रिगेड के कमांडर मुस्तफा अब्दुल जाबेर ने कहा कि इस सप्ताह उनकी तेजी से बढ़त में व्यापक अलेप्पो प्रांत में ईरान समर्थित जनशक्ति की कमी का योगदान रहा है. इस क्षेत्र में ईरान के सहयोगियों को इजरायल के हाथों कई झटके लगे हैं क्योंकि गाजा युद्ध पश्चिम एशिया में फैल गया है.
भीषण हमले का नेतृत्व करने वाला आतंकी समूह कौन है?
सीरिया में भीषण हमले का नेतृत्व करने वाला मुख्य बल हयात तहरीर अल-शाम है. इसको शुरुआती नाम HTS से जाना जाता है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने लंबे समय से इस विपक्षी बल को आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है. अबू मोहम्मद अल-गोलानी 2011 में सीरिया के युद्ध के शुरुआती महीनों में अल-कायदा की सीरिया शाखा के नेता के रूप में उभरा था. हालांकि, सीरिया के विपक्ष में वैसे कई लोगों, जो असद के क्रूर शासन के खिलाफ लड़ाई को हिंसक उग्रवाद से मुक्त रखना चाहते थे यह एक अवांछित दखल था.
गोलानी के समूह ने 2016 में अल-कायदा से संबंध तोड़ लिए
गोलानी और समूह ने सीरिया के धार्मिक अल्पसंख्यकों की संपत्तियां हड़प लीं, महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू करने के लिए धार्मिक मोरल पुलिस भेजी, अलग-अलग कई घातक विस्फोटों की जिम्मेदारी ली और पश्चिमी ताकतों से जंग लड़ने की कसम खाई. रिसर्चर आरोन ज़ेलिन ने कहा कि गोलानी ने हाल के वर्षों में खुद को फिर से बनाने की कोशिश की है और अपने क्षेत्र में नागरिक सरकार को बढ़ावा देने के साथ-साथ सैन्य कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित किया है. हालांकि, गोलानी के समूह ने 2016 में अल-कायदा से संबंध तोड़ लिए थे.
गोलानी ने अपने अधिकार क्षेत्र में चरमपंथी समूहों पर कसी नकेल
गोलानी अब अपने अधिकार क्षेत्र में कुछ चरमपंथी समूहों पर नकेल कसते हुए खुद को विभिन्न धर्मों के रक्षक के रूप में पेश करता है. इसमें पिछले साल इदलिब शहर को कई वर्षों के बाद अपना पहला ईसाई धर्म-समारोह आयोजित करने की अनुमति देना शामिल था. आरोन ज़ेलिन ने कहा कि 2018 तक, डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने स्वीकार किया कि वह अब सीधे गोलानी को निशाना नहीं बना रहा था. लेकिन एचटीएस ने कुछ वांटेड सशस्त्र समूहों को अपने क्षेत्र में काम करना जारी रखने की इजाजत दी है और 2022 तक अमेरिकी स्पेशल फोर्स पर गोलीबारी की है.
विपक्षी लड़ाकों के खतरनाक हमले के पीछे क्या कारण है?
विपक्षी लड़ाकों का दावा है कि सीरियाई सेना द्वारा किसी भी हमले को रोकने के लिए और विद्रोहियों के कब्जे वाले इदलिब के क्षेत्रों में हाल के हफ्तों में सीरियाई और रूसी वायु सेनाओं द्वारा नागरिकों पर बढ़ते हमलों की प्रतिक्रिया में यह हमला किया गया था. विद्रोही सैन्य नेता लेफ्टिनेंट कर्नल हसन अब्दुलघनी ने हमले की शुरुआत करते हुए एक वीडियो बयान में इस हमले को रक्षात्मक जरूरत बताया.
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "हमारे लोगों से उनकी गोलीबारी को पीछे धकेलने के लिए यह हमला कोई विकल्प नहीं है. यह हमारे लोगों और उनकी जमीन की रक्षा करने का दायित्व है. यह सभी के लिए स्पष्ट हो गया है कि ईरानी भाड़े के सैनिकों सहित शासन के मिलिशिया और उनके सहयोगियों ने सीरियाई लोगों पर खुले युद्ध की घोषणा कर दी है." अपनी जमीन पर फिर से कब्ज़ा करना, नागरिक क्षेत्रों पर हवाई हमले रोकना और सरकारी बलों के लिए महत्वपूर्ण आपूर्ति मार्गों को बंद करना विद्रोहियों के कुछ तात्कालिक मकसद हैं.
विद्रोहियों के हमले पर असद शासन की प्रतिक्रिया कैसी है?
सीरियाई सेना ने कहा कि वह विद्रोहियों के हमले का सामना करना जारी रखेगी. एक सरकारी बयान में कहा कि उसने अलेप्पो और इदलिब के ग्रामीण इलाकों में विद्रोहियों को भारी नुकसान पहुंचाया है.रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सीरियाई सेना और विद्रोही सूत्रों ने बताया कि रूसी और सीरियाई युद्धक विमानों ने गुरुवार को तुर्की की सीमा के पास के इलाके में बमबारी की, ताकि कई सालों में पहली बार इलाके पर कब्ज़ा करने वाले विद्रोही हमले को पीछे धकेला जा सके.
असद के प्रमुख सहयोगियों में से एक ईरान को भी नुकसान
इस ऑपरेशन में असद के प्रमुख सहयोगियों में से एक ईरान को भी नुकसान उठाना पड़ा. NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए लोगों में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स का एक सीनियर कमांडर भी शामिल है. असद परिवार सीरिया की सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए लंबे समय से ईरान के साथ अपनी साझेदारी पर निर्भर रहा है. 2011 में जब राष्ट्रपति असद को पहली बार सरकार विरोधी विद्रोह का सामना करना पड़ा था, तब से यह गठबंधन विशेष रूप से फायदे में रहा है.
सीरिया को फिर मिला रूस का समर्थन, क्रेमलिन ने क्या कहा?
दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि मॉस्को विद्रोही हमले को सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन मानता है और चाहता है कि अधिकारी फिर से नियंत्रण हासिल करने के लिए तेज़ी से कार्रवाई करें. पेसकोव ने कहा, "जहां तक अलेप्पो के आसपास की स्थिति का सवाल है, यह सीरियाई संप्रभुता पर हमला है और हम चाहते हैं कि सीरियाई अधिकारी इलाके में व्यवस्था लाएं और जल्द से जल्द संवैधानिक व्यवस्था बहाल करें."
सीरिया में क्यों मायने रखता है ये गृहयुद्ध? क्या है कारण
एक अनुमान के मुताबिक, सीरिया में राष्ट्रपति असद और उनकी सरकार के पतन के लिए संघर्षरत विपक्षी गुटों के बीच 13 साल की जंग में पांच लाख से ज़्यादा लोग मारे गए हैं. लगभग 6.8 मिलियन लोग सीरियाई देश छोड़कर चले गए हैं. इस शरणार्थी संकट ने दूर-दराज़ के अप्रवासी विरोधी आंदोलनों को हवा दी और यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य के बदलाव में योगदान दिया. देश के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से पर विभिन्न विपक्षी ताकतें और विदेशी सैनिक शासन करते हैं जो असद का नहीं है.
इस्लामिक स्टेट के फिर से उभरने को रोकने के लिए अलेप्पो से दूर पूर्वोत्तर सीरिया में लगभग 900 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका कभी-कभी सीरिया में ईरान से जुड़े सरकारी बलों और मिलिशिया पर हमला करते रहते हैं. वहीं, तुर्की सीरिया में अपनी सेना रखने के अलावा, विद्रोही लड़ाकों के बड़े गठबंधन को भी प्रभावित करता है जो अलेप्पो पर कब्ज़ा कर रहे हैं.
मध्य-पूर्व में गृहयुद्ध को कैसे देखते हैं एक्सपर्ट?
अमेरिका स्थित मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट में लंबे समय से सीरिया के विश्लेषक चार्ल्स लिस्टर ने कहा कि सीरिया के युद्धरत दलों के बीच क्षेत्र में कुछ बड़े बदलावों के साथ वर्षों के बाद होने वाली यह लड़ाई "वास्तव में काफी परिणामकारी और संभावित रूप से खेल-बदलने वाली हो सकती है." हालांकि, इसके लिए पहले सीरियाई सरकारी बलों को अपनी जमीन पर बने रहने में असमर्थ साबित करना होगा.
लिस्टर ने कहा कि जोखिम यह है कि अगर इस्लामिक स्टेट के लड़ाके इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं तो मामला बिगड़ सकता है. वहीं, सीरिया में पिछले अमेरिकी राजदूत रॉबर्ट फोर्ड ने कहा कि अगर अलेप्पो में लड़ाई रूस और तुर्की को एक दूसरे के खिलाफ सीधे भारी लड़ाई में शामिल करती है, तो यह और भी व्यापक रूप से अस्थिर हो जाएगी.
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युद्ध के मामले में अलेप्पो का इतिहास क्या है?
भौगोलिक तौर पर अलेप्पो कई साम्राज्यों और व्यापार मार्गों के चौराहे पर स्थित है. यह हजारों वर्षों से पश्चिम एशियाई व्यापार और संस्कृति का केंद्र रहा है. युद्ध से पहले, अलेप्पो में लगभग 2.3 मिलियन लोग रहते थे. जब विद्रोहियों ने 2012 में शहर के पूर्वी हिस्से पर नियंत्रण कर लिया, तो यह सशस्त्र विपक्षी ताकतों की प्रगति का सबसे प्रमुख उदाहरण बन गया. 2016 में रूसी हवाई हमलों द्वारा समर्थित सरकारी बलों द्वारा शहर की घेराबंदी की गई थी. रूसी गोले, मिसाइलों और कच्चे बैरल बमों (धातु और विस्फोटकों से भरे कंटेनर) के हमले द्वारा पड़ोस को व्यवस्थित रूप से समतल किया गया था.
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रूसी सेना के बल पर असद का नियंत्रण
उस वर्ष, भूख से मर रहे और घेराबंदी में फंसे विद्रोहियों ने अलेप्पो में आत्मसमर्पण कर दिया. वहीं, जब रूसी सेना ने अलेप्पो में प्रवेश किया तो लड़ाई का रुख बदल गया, जिससे असद को इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिली. एक स्वतंत्र निगरानी समूह के अनुसार, इस वर्ष अलेप्पो में इजरायली हवाई हमलों ने सीरियाई सेना और हिजबुल्लाह के हथियार भंडार को निशाना बनाया. इसके साथ ही अन्य लक्ष्यों को भी निशाना बनाया. हालांकि, अलेप्पो और सीरिया के अन्य सरकारी क्षेत्रों के खिलाफ हमलों को इजरायल शायद ही कभी स्वीकार करता है.
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