Paris Metro Station Incident: यूरोप में फ्रांस में ही सबसे अधिक आतंकी हमले क्यों होते हैं. क्या फ्रांस की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है. क्या फ्रांस में इस्लामिक आतंकवाद गहराई तक जड़ जमा चुका है. इसे समझने से पहले दो घटनाओं के बारे में जानना जरूरी है. 13 अक्टूबर को एक टीचर की जिहादियों ने हत्या कर दी उसके बाद से फ्रांस में तनाव है. दूसरा मामला 31 अक्टूबर का है. पेरिस मेट्रो स्टेशन पर बुर्के में एक महिला ने अल्ला हू अकबर का नारा लगाया और पुलिस ने गोली मार दी. इस घटना को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं. चश्मदीदों के मुताबिक महिला ने खुद को बम से उड़ाने की धमकी दी थी. अब यहां सवाल यह है कि क्या फ्रांस की एजेंसियां यह मानकर चलती है कि जो भी बुर्के में हों या अल्ला हू अकबर के नारे लगाने वालों को शक के नजरिए से देखो. क्या फ्रांस की सरकार यह मानकर चलती है कि देश में जो भी आतंकी वारदातें हो रही हैं उनके पीछे कहीं न कहीं मुस्लिम समाज का हाथ है, इन सबके बीच हम यहां आकंड़ों के जरिए बताएंगे कि फ्रांस की आबादी में मुस्लिम समाज की संख्या कितनी है और ये लोग दुनिया के किन किन हिस्सों से आए.


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फ्रांस की आबादी में 10 फीसद मुस्लिम
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि फ्रांस में इतनी संख्या में मुसलमान कहां से आ गए. आप को पता होगा कि दुनिया के अलग अलग देशों में फ्रेंच सरकार का राज था. वो देश जो फ्रांस के कॉलोनी के तौर पर थे वहां से शुरुआती दौर में मुसलमान आए और बस गए, हालांकि अब मुसलमानों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी का जन्म फ्रांस में ही हुआ है. 2021 के आंकड़े के मुताबिक फ्रांस की कुल आबादी 6.7 करोड़ है. 36 मिलियन आबादी यानी 3.6 करोड़ का वास्ता क्रिश्चियन धर्म से है. 2.4 करोड़ लोग किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं जबकि करीब 60 लाख की आबादी इस्लाम को मानती है. इस हिसाब से फ्रांस में मुस्लिम समाज की आबादी करीब 10 फीसद है. इसमें से आधा यानी 30 लाख मुस्लिम आबादी या तो फ्रांस में ही पैदा हुए हैं या उन्हें कानून फ्रेंच नागरिक घोषित किया गया है.फ्रांस की मुस्लिम आबादी में वैसे तो थोड़ा बहुत हिस्सा दुनिया के अलग अलग देशों का है. लेकिन अल्जीरियन मूल की संख्या सबसे अधिक है. इसके साथ ही फ्रांस के किस शहर में मुस्लिम समाज की आबादी सबसे अधिक है. पेरिस में मुस्लिम समाज की आबादी 1.7 मिलियन है, यह फ्रांस ही नहीं यूरोप के किसी भी शहर से सबसे अधिक है.


इन देशों से फ्रांस में मुस्लिम आए


  • मोरक्को

  • अल्जीरिया

  • ट्यूनीशिया


क्या सुलग रहा है फ्रांस


फ्रांस के अर्रास शहर में एक स्कूल में 13 अक्टूबर को एक शिक्षक की हत्या हुई थी. रॉयटर्स के मुताबिक आरोपी अल्लाह हू अकबर के नारे के साथ स्कूल में घुसा और शिक्षक को निशाना बनाया. अब सवाल यह है कि क्या इसका इजरायल हमास युद्ध से कोई वास्ता है. इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि आपको युद्ध की तारीख पर गौर करना होगा. सात अक्टूबर को इजरायल पर हमास आतंकियों द्वारा हमले के बाद फ्रांस खुलकर इजरायल का समर्थन कर रहा है. उसकी वजह से फ्रांस के मुस्लिम जिहादी संगठनों में गुस्सा है. लिहाजा 13 अक्टूबर की घटना का इजरायल-हमास से संबंध माना जा सकता है. इसके साथ ही जानकार कहते हैं कि फ्रांस के मूल लोगों का मानना है कि जिस तरह से मुस्लिम समाज को रियायतें दी गई थीं उसका असर साफ तौर पर नजर आता है, जब फ्रांस के मूल लोगों ने दबाव बनाना शुरू किया तो नियम कानून में बदलाव हुए और उसकी वजह से कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों को लगने लगा कि उनका अस्तित्व खतरे में है.