दुनिया का पहला केस: दुर्लभ ब्रेन कैंसर को हराकर 13 साल के बच्चे को मिला नया जीवन, ड्रग ट्रायल में हुआ सफल इलाज
बेलजियम के 13 साल के लुकास ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं. वह दुर्लभ और घातक ब्रेन कैंसर `डिफ्यूज इंट्रिंसिक पोंटाइन ग्लियोमा` (DIPG) को हराने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया है.
बेल्जियम के 13 साल के लुकास ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं. वह दुर्लभ और घातक ब्रेन कैंसर 'डिफ्यूज इंट्रिंसिक पोंटाइन ग्लियोमा' (DIPG) को हराने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया है. डॉक्टरों के अनुसार, सात साल के इलाज के बाद लुकास के दिमाग में ट्यूमर का कोई निशान नहीं बचा है.
डिफ्यूज इंट्रिंसिक पोंटाइन ग्लियोमा एक दुर्लभ और घातक ब्रेन कैंसर है, जो ब्रेनस्टेम में होता है. यह बच्चों में ही पाया जाता है और हर साल अमेरिका में लगभग 300 और फ्रांस में 100 बच्चों को इसका पता चलता है. इस कैंसर का इलाज बहुत मुश्किल है और ज्यादातर बच्चे एक साल से ज्यादा नहीं जी पाते. हाल के अध्ययनों के अनुसार, केवल 10 प्रतिशत बच्चे ही दो साल तक जीवित रह पाते हैं.
लुकास का इलाज कैसे हुआ?
लुकास और उसका परिवार फ्रांस में इस बीमारी के लिए संभावित नई दवाओं का टेस्ट करने वाले BIOMEDE ट्रायल में शामिल हुए. उन्हें रैंडम तरीके से कैंसर की दवा एवरोलिमस दी गई, जिस पर लुकास ने पॉजिटिव प्रतिक्रिया दी. आश्चर्यजनक रूप से उनका ट्यूमर पूरी तरह से गायब हो गया.
क्या यह एक अनोखा मामला है?
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार डॉ. ग्रिल ने कहा कि लुकास का मामला वैश्विक स्तर पर अनोखा है. उनके पूर्ण ठीक होने का कारण और अन्य बच्चों के लिए इसके संभावित प्रभावों को अभी पूरी तरह से समझा नहीं गया है. हालांकि ट्रायल में सात अन्य बच्चे डायग्नोस के बाद कई सालों तक जीवित रहे, लेकिन लुकास का मामला असाधारण है क्योंकि उनका ट्यूमर पूरी तरह से गायब हो गया. डॉक्टर ग्रिल का सुझाव है कि यह अनोखी प्रतिक्रिया प्रत्येक बच्चे के ट्यूमर की 'बायोलॉजिकल विशिष्टताओं' से जुड़ी हो सकती है और लुकास में एक दुर्लभ उत्परिवर्तन था जिसने उनकी ट्यूमर सेल्स को दवा के प्रति अत्यधिक सेंसिटिव बना दिया.
इस खबर का क्या महत्व है?
लुकास का मामला इस गंभीर बीमारी के इलाज में एक आशा की किरण को जगाता है. हालांकि यह एक अनोखा मामला है, यह शोधकर्ताओं को इस कैंसर के बारे में अधिक जानने और नए उपचार खोजने के लिए प्रेरित कर सकता है. यह जरूरी है कि इस मामले का गहन अध्ययन किया जाए और इसके निष्कर्षों को अन्य बच्चों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाए.
भविष्य की उम्मीदें
लुकास का मामला भले ही अनोखा हो, लेकिन यह ब्रेन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह हमें उम्मीद देता है कि भविष्य में इस कैंसर का इलाज संभव होगा और अधिक बच्चों को बचाया जा सकेगा. इस मामले से मिले ज्ञान का उपयोग करके शोधकर्ता नए और बेहतर उपचार विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. उम्मीद है कि एक दिन डिफ्यूज इंट्रिंसिक पोंटाइन ग्लियोमा जैसा घातक कैंसर इतिहास बन जाएगा.