नई दिल्ली: ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने इस बात पर जोर देकर कहा है कि इंडोर यानी बंद जगहों पर क्रॉस वेंटिलेशन (Cross ventilation) यानी हवा का संचालन बेहतर तरीके से होना जरूरी है. इसका कारण ये है कि नई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि कोविड-19 इंफेक्शन (Covid-19 Infection) के लिए जिम्मेदार नया कोरोना वायरस सांस की बूंदों से नहीं बल्कि हवा के जरिए फैलता है. 


गर्मियों में भी घर की खिड़कियां खोलकर रखें


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मेडिकल जर्नल लैंसेट (Lancet) में प्रकाशित इस नई रिसर्च में कहा गया है कि इस बात के पुख्ता सबूत मौजूद हैं कि यह वायरस एयरबॉर्न है (Virus is airborne) यानी हवा के जरिए फैलता है. लिहाजा सुरक्षा के उपायों में भी इसी के हिसाब से जरूरी बदलाव करने की आवश्यकता है. बीते 4-5 दिनों से लगातार हर दिन नए संक्रमण के 2 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि किसी बंद जगह यानी Indoor के मुकाबले बाहर खुली जगह में यानी Outdoor में वायरस के फैलने की आशंका कम है. लिहाजा गर्मियों में अपने-अपने घरों की खिड़कियां खोलकर रखें (Open your windows) ताकि क्रॉस वेंटिलेशन हो सके. 


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बंद कमरे में ज्यादा लोग इक्ट्ठा न हों


डॉ गुलेरिया आगे कहते हैं, 'आपका कमरा अच्छी तरह से हवादार होना चाहिए, क्रॉस वेंटिलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए और किसी बंद कमरे में ज्यादा लोग एक साथ इक्ट्ठा न हों यही बेहतर होगा. किसी बंद कमरे में केवल व्यक्ति वहां मौजूद सभी लोगों को संक्रमित कर सकता है (1 person can infect everyone). ऐसा नहीं कि अगर आप संक्रमित व्यक्ति से 10 मीटर दूर बैठे हैं तो आप संक्रमित नहीं होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि एरोसोल लंबी दूरी तक ट्रैवल कर सकता है और अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तब तो एरोसोल और भी ज्यादा दूर तक जा सकता है.'     


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ड्रॉपलेट इंफेक्शन से अलग है एरोसोल इंफेक्शन


Aerosol इंफेक्शन (रोगाणुओं से भरे कणों की हवा में मौजूदगी) Droplet इंफेक्शन (सांस की बूदों से होने वाला संक्रमण) से पूरी तरह से अलग है. ड्रॉपलेट्स 5 माइक्रॉन से बड़े कण होते हैं और ये ज्यादा दूर तक ट्रैवल नहीं कर सकते. ज्यादा से ज्यादा ये 2 मीटर तक जाते हैं और फिर जमीन पर गिर जाते हैं. लेकिन एरोसोल ट्रांसमिशन में दूषित कण 5 माइक्रॉन से छोटे होते हैं और लंबी दूरी तय कर सकते हैं. इसलिए अगर कोई संक्रमित व्यक्ति कमरे में खांसता या छींकता है तो उसके वहां से चले जाने के बाद भी कमरे की हवा में वायरस मौजूद रहता है (Virus stays in the air). इसलिए कमरे का हवादार होना जरूरी है ताकि क्रॉस वेंटिलेशन के जरिए हवा कमरे से बाहर निकल जाए. 


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एन-95 मास्क यूज कर रहे हों तो डबल मास्क की जरूरत नहीं


कोरोना के बेहद संक्रामक डबल म्यूटेंट स्ट्रेन (Double mutant strain) के खिलाफ बहुत से लोग डबल मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं. इस बारे में डॉ गुलेरिया की मानें तो अगर आप N-95 मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको डबल मास्क पहनने की जरूरत नहीं. हालांकि मास्क को सही तरीके से पहनना जरूरी है. मास्क और स्किन के बीच कोई गैप नहीं होना चाहिए और आपकी ठुड्डी भी अच्छी तरह से ढकी होनी चाहिए. नाक और मुंह के ईर्द-गिर्द मास्क को एक तरह से सील का काम करना है.


(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)


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