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नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के चलते संक्रमण की रफ्तार भले ही तेज हो गई हो, लेकिन मृत्यु दर (Death Rate) पिछली बार के मुकाबले कम है. ‘लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स’ ने अपनी रिपोर्ट (Report) में यह बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी से अप्रैल तक प्रतिदिन 10,000 से 80,000 नए मामलों की वृद्धि 40 दिनों से भी कम समय में हुई. जबकि पिछले साल इस आंकड़े तक पहुंचने में 83 दिन लगे थे. इसके अलावा, पहली और दूसरी लहर में एक अंतर यह भी है कि सकारात्मक परीक्षण वाले कई मामले हल्के रोगसूचक हैं, जिसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती और मृत्यु होने की दर अपेक्षाकृत कम है.
रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि स्पशरेन्मुख मामलों का उच्च अनुपात पूरी तरह से बेहतर संपर्क ट्रेसिंग के कारण हैं या इसके पीछे कोई और वजह है. मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से समग्र मामला मृत्यु अनुपात (CFR) लगभग 1.3 प्रतिशत बताया गया था, जबकि 2021 की शुरुआत से वायरस का सामना करने वाले रोगियों के बीच CFR 0.87 प्रतिशत से काफी कम है. लिहाजा, ऐसा लगता है कि CFR की रफ्तार दूसरी लहर में कम है. फिर भी देशभर में प्रतिदिन 664 मौतों की सूचना मिल रही है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मृत्यु संख्या और संक्रमण दर में अंतर है. संक्रमण बढ़ने के मामलों में तेजी दर्ज की जा सकती है. पिछले एक साल में 215 जिले ऐसे हैं, जो केस इन्फेक्शन के मामले में टॉप 10 फीसदी में शामिल रहे हैं, लेकिन नौ जिले (चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, नासिक, नई दिल्ली, उत्तर 24 परगना, पुणे, ठाणे और सोलापुर) साल भर में शीर्ष 10 प्रतिशत का हिस्सा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी लहर भी अब तक भौगोलिक रूप से अधिक जटिल रही है. पहली लहर के दौरान 50 फीसदी मामले 40 जिलों से आते थे, जो अब घटकर 20 जिले हो गए हैं. पिछले साल जब पहली लहर चरम पर थी तब 75 फीसदी मामले 60 से 100 जिलों से दर्ज हो रहे थे. जबकि इस बार इतने ही प्रतिशत केस 20 से 40 जिलों में मिल रहे हैं.
लैंसेट की रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वैक्सीनेशन ड्राइव तेज करने की जरूरत है. यहां सभी वयस्क लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाया जाना चाहिए. इसके साथ ही रिपोर्ट में वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने की बात भी कही गई है. यह भी कहा गया है कि वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने के लिए सरकार को कुछ और वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी पर विचार करना चाहिए. लॉकडाउन के विषय में रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे कड़े कदम नुकसानदायक हो सकते हैं, इसलिए इनसे बचा जाना चाहिए.
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