आमतौर पर गठिया को बुजुर्गों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन यह बीमारी बच्चों को भी अपना शिकार बना सकती है.  जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो अक्सर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है. इससे पहले जुवेनाइल रुमेटाइड आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता था. 


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बच्चों में होने वाली इस अर्थराइटिस के बारे में डॉ राजेश कुमार वर्मा, निर्देशक और एचओडी - ऑर्थोपेडिक्स, ट्रॉमा और स्पाइन सर्जरी- मैरिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम का कहना है इससे बच्चे को कई तरह की  गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. इसमें शरीर के विकास में रुकावट, जोड़ों में कमजोरी और आंखों से संबंधित समस्याएं शामिल है. ऐसे में जल्द से जल्द बच्चों में इस बीमारी का निदान जरूरी है, ताकि वक्त पर उपचार शुरू किया जा सके. इससे बच्चा लंबे समय तक हेल्दी लाइफ जी सकता है. 


ऐसे दिखते हैं बच्चों में अर्थराइटिस के लक्षण

बच्चों में अर्थराइटिस होने पर मुख्य रूप से जोड़ों में लगातार दर्द विशेष रूप से सुबह के समय, सूजन, जकड़न, जोड़ों की गतिशीलता में कमी, शरीर का तापमान बढ़ना, जोड़ों के आसपास लालिमा और कोमलता और लंगड़ाकर चलना जैसे लक्षण नजर आते हैं.


इन संकेतों को भी ना करें नजरअंदाज

एक्सपर्ट बताते हैं कि बच्चों में अर्थराइटिस का संकेत सिर्फ जोड़ों में दर्द के रूप में ही नहीं बल्कि बुखार और आंख, गुर्दे, लीवर और सबसे महत्वपूर्ण रूप से हृदय संबंधी समस्याओं जैसे अन्य सिस्टम शामिल हो सकते हैं, ऐसे में इनका रेगुलर चेकअप भी किया जाना चाहिए. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण जुवेनाइल आर्थराइटिस से ग्रस्त बच्चों में टॉन्सिलिटिस और बार-बार गले में खराश होने का खतरा भी अधिक होता है.


किन बच्चों को है ज्यादा खतरा


ऐसे बच्चे जिनकी फैमिली हिस्ट्री में जुवेनाइल अर्थराइटिस की बीमारी रही है, उन्हें इसका ज्यादा खतरा होता है. इसके अलावा कुछ तरह के जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का खतरा लड़कियों को ज्यादा होता होता है.


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कैसे किया जाता है अर्थराइटिस का टेस्ट 

बच्चों में अर्थराइटिस के निदान के लिए बाल विशेषज्ञ ब्लड टेस्ट (सीबीसी, ईएसआर, सीआरपी, एंटी सीसीपी, आर ए फैक्टर और अन्य विशेष परीक्षण) और रेडियोलॉजिकल जांच (एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई)  के लिए कह सकता है.