कोरोना के बारे में दिन-रात पूरी दुनिया के वैज्ञानिक रिसर्च करने में लगे हैं. जिससे समय-समय पर नयी और चौंकाने वाली जानकारी निकलकर आ रही है. अब ऐसी ही एक चौंकाने वाली जानकारी कोरोना के लक्षण को लेकर आई है. अभी तक बुखार, खांसी, स्वाद व गंध में कमी, सांस लेने में समस्या आदि को कोरोना के प्रमुख लक्षणों के तौर पर जाना जाता है. लेकिन ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा केस स्टडी से यह खुलासा हुआ है कि कोविड-19 इंफेक्शन के बाद कुछ मरीजों के नाखूनों में एक खास निशान बन सकता है. इसके साथ ही उनके नाखूनों का रंग फीका पड़ सकता है और आकार भी बदल सकता है. ऐसे बदलावों के कारण इन्हें कोविड नेल्स (Covid Nails) से जाना जा रहा है.


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नाखून पर लाल अर्ध-चंद्र का निशान हो सकता है कोरोना का लक्षण
ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय के निखिल अग्रवाल, वासिलियोस वासिलीऊ और सुबोधिनी सारा सेलवेंद्र द्वारा की गई केस स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 संक्रमण के कारण रोगियों के नाखूनों पर लाल रंग के अर्ध-चंद्र यानी आधे चांद की आकृति बन रही है. रोगियों के नाखूनों पर यह निशान उनके कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के दो हफ्तों के अंदर देखा गया. हालांकि, केस स्टडी में शोधकर्ताओं को ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं, लेकिन किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए अभी भी यह नाकाफी है.


कोरोना के कारण नाखूनों पर कैसे बन सकता है आधे चांद का निशान
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नाखूनों पर लाल रंग के अर्ध-चंद्र की आकृति बनना दुर्लभ होता है. इसलिए कोविड पेशेंट्स में ऐसा निशान दिखना कोरोना का लक्षण हो सकता है. नाखूनों पर लाल रंग के आधे चांद यानी अर्ध-चंद्र का निशान बनने के पीछे शोधकर्ता कोरोना वायरस के कारण रक्त वाहिकाओं में क्षति की आशंका जताते हैं. इसके साथ उन्होंने कहा कि, वायरस से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया के कारण रक्त के छोटे थक्के जम सकते हैं, जिससे नाखूनों का रंग भी फीका पड़ सकता है. लेकिन अगर रोगी एसिंप्टोमेटिक है, तो घबराने की कोई बात नहीं है. हालांकि यह कितने समय तक रहेंगे या कितने समय बाद जाएंगे, इसके बारे में कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है. लेकिन रिपोर्ट किए गए मामलों में यह निशान एक हफ्ते से चार हफ्ते तक देखे गए.


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शारीरिक तनाव के कारण हो सकता है
शोधकर्ताओं ने कुछ कोरोना रोगियों के हाथ व पैरों के नाखूनों पर कुछ असामान्य रेखाएं भी देखी है. जो कि कोविड-19 इंफेक्शन के चार हफ्ते या उससे ज्यादा समय के बाद दिखीं. ऐसी रेखाएं संक्रमण, कुपोषण या कीमोथेरिपी जैसे किसी तरह के शारीरिक तनाव के दुष्प्रभाव के कारण नाखून के विकास में हुई अस्थायी रुकावट की वजह से बनती हैं. लेकिन इसके पीछे अब कोरोना संक्रमण भी वजह हो सकता है. अमूमन हमारे नाखून हर महीने में 2 मिमी से 5 मिमी के बीच बढ़ते हैं. लेकिन शारीरिक तनाव के कारण आई रुकावट की वजह से नाखून जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे नाखूनों पर कुछ रेखाएं बन सकती हैं. इसका कोई खास ट्रीटमेंट नहीं है, यह शरीर के ठीक होने पर अपने आप सही हो जाती हैं.


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केस स्टडी में नाखूनों पर ये बदलाव भी दिखे
शोधकर्ताओं ने केस स्टडी में कुछ अन्य असामान्य घटनाओं को भी दर्ज किया. जिसमें एक महिला रोगी के नाखून अपनी जड़ से अचानक ढीले होकर तीन महीने बाद गिर गए थे. लेकिन उनकी जगह नये नाखून अपने आप आने लगे थे. इस स्थिति को ओनिकोमाडेसिस भी कहा जाता है. इसके अलावा एक मरीज के कोरोना संक्रमित होने के 112 दिनों बाद नाखूनों के ऊपर नारंगी रंग का निशान भी देखने को मिला. तीसरे मामले में एक मरीज के नाखूनों पर सफेद रेखाएं दर्ज की गई. इन्हें मीस लाइन्स या ट्रांसवर्स ल्यूकोनीचिया के नाम से भी जाना जाता है. जो कि कोरोना संक्रमण की पुष्टि के 45 दिन बाद दिखाई दीं. हालांकि यह सभी बदलाव अपने आप ठीक हो गए और किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं पड़ी. शोधकर्ताओं को नाखूनों से जुड़े इन बदलावों और कोविड-19 के लक्षणों के बीच संबंध देखने के लिए अभी और शोध की जरूरत महसूस होती है.