Dengue Myths: देश के कई राज्यों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. राजधानी दिल्ली में दो हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं.  समय की मांग है कि सुरक्षा के तरीकों को अपनाकर डेंगू को रोका जाए जैसे कि आसपास के क्षेत्र में मच्छरों को पनपने नहीं देना, सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल, मच्छर भगाने वाले स्प्रे और क्रीम लगाना. डेंगू से जितना दूर रहना जरूरी है, उतना ही उससे जुड़े मिथकों को दूर करना भी जरूरी है. बीमारी और मिथक साथ-साथ चलते हैं और मेडिकल हेल्प व इलाज में देरी के कारणों में से एक हैं यहां हम जानेंगे डेंगू से जुड़े 5 ऐसे मिथक, जिन पर हमें भरोसा नहीं करना चाहिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. डेंगू कोविड से कम खतरनाक है
दो अलग-अलग रोगजनकों के कारण होने वाली दो अलग-अलग बीमारियों की तुलना करना व्यर्थ है. दोनों बीमारियों की गंभीरता (जिनमें से एक महामारी के रूप में वैश्विक भय पैदा करती है और दूसरी जो एक वार्षिक घटना है और स्वास्थ्य सुविधाओं और मानव जीवन के खतरे पर अत्यधिक बोझ डालती है) की तुलना कभी भी नहीं की जा सकती है, इसे कम करके आंका नहीं जा सकता है


2. डेंगू और कोविड एक साथ कभी नहीं हो सकते
ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लोगों में डेंगू और कोविड एक ही समय में होते हुए देखे गए हैं. सिंगापुर में, कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को शुरू में डेंगू के लिए नेगेटिव टेस्ट किया गया था, लेकिन बाद में लगातार बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अंतिम डायग्नोस में डेंगू और कोविड के साथ सह-संक्रमण का पता चला. ऐसे सह-संक्रमण भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और कई अन्य स्थानों में भी देखे गए हैं.


3. डेंगू घातक नहीं है
लोगों को पता होना चाहिए कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है. डेंगू से जुड़ा दर्द सहना मुश्किल होता है. डेंगू बहुत खतरनाक है और गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है, जिसका सही समय पर इलाज न करने पर शरीर पर लंबे समय तक हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है.


4. डेंगू जीवन में सिर्फ एक बार होता है
नहीं! चार बार संक्रमित होना संभव है और यह संभव है कि दूसरी बार वाली पहली बार की तुलना में गंभीर हो. वायरस के चार सीरोटाइप हैं, जो डेंगू का कारण बनते हैं और आम धारणा है कि संक्रमण डेंगू से आजीवन इम्यूनिटी प्रदान करता है. संक्रमण केवल डेंगू के उस विशेष वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी प्रदान करता है, दूसरों के लिए नहीं. 


5. पपीते के पत्ते का अर्क डेंगू को ठीक कर सकता है
हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि पपीते के पत्ते का रस डेंगू के दौरान प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने के लिए अच्छा होता है, लेकिन इसका समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाण कम हैं. डेंगू एक गंभीर संक्रमण है. इसे ठीक करने के लिए पुरानी कहानियों पर भरोसा न करें. मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाएं और चिकित्सा सहायता लें. ऐसे महत्वपूर्ण समय में केवल समय पर मेडिकल हेल्प ही किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है.


Disclaimer: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.