कई बार बच्चेदानी में बनने वाली गांठ को ठीक करने के लिए मेडिसिन और सर्जरी की जरूरत पड़ जाती है. जबकि यदि सही वक्त पर कुछ चीजों से परहेज कर लिया जाए तो इसे सिर्फ लाइफस्टाइल आदतों की मदद से ठीक किया जा सकता है.


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ऐसे में जैसे ही पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में पेन, रेगुलर पीरियड्स का ना आना या दो पीरियड्स में गैप ज्यादा होना जैसे फाइब्रॉयड के लक्षण देखने के लिए मिले तुरंत ही इन 5 चीजों से दूरी बना लें. इससे आपके पास फाइब्रॉयड ट्यूमर को नेचुरल तरीके से ठीक करने का विकल्प होगा.


यूट्रस में फाइब्रॉयड होने पर कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत

बच्चेदानी में गांठ को सर्जरी से निकालने की जरूरत है या नहीं इसका फैसला इसके कारण होने वाले लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है. यदि मरीज को ब्लीडिंग के कारण एनिमिया है, लगातार कमर या पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द है तो डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह दे सकते हैं.

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इन 5 चीजों से बढ़ती है बच्चेदानी की गांठ


रेड मीट

प्रसूति और स्त्री रोग विज्ञान में शोध के अनुसार, गोमांस, सूअर का मांस और भेड़ के बच्चे जैसे बहुत सारे पशु प्रोटीन खाने से फाइब्रॉएड विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में यदि इसे ट्यूमर होने पर खाया जाए तो इसके बढ़ने की भी संभाना होती है.


हाई फैट डायरी प्रोडक्ट्स

हाई फैट डायरी प्रोडक्ट्स में एस्ट्रोजन की मात्रा होती है, जिसके कारण इसे फाइब्रॉयड ट्यूमर वाले मरीज के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है.


शराब या कैफिन

शराब और कैफिन बॉडी में एस्ट्रोजन के लेवल के बैलेंस को बिगाड़ने का काम करती है. ये हार्मोन फाइब्रॉयड ट्यूमर के बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है. ऐसे में इसके सेवन से बचना सेहतमंद माना जाता है.


शुगर  

Webmd के अनुसार, कुछ स्टडी में ज्यादा शुगर इनटेक को फाइब्रॉयड ट्यूमर के जोखिम से संबंधित पाया गया है. ऐसे में बच्चेदानी में गांठ होने के दौरान ज्यादा मीठा खाने की आदत इसे बढ़ा सकती है.


स्मोकिंग

स्मोकिंग सेहत के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में यदि आपको बच्चेदानी में गांठ की शिकायत है तो इसका सेवन बिल्कुल ना करें. इसके सेवन से ट्यूमर का दर्द और गंभीर हो सकता है. 

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