इस योगासन को करने में याद आ जाएगी `मम्मी`, मगर फायदे सुनकर रोजाना करेंगे आप
Benefits of Garbhasana or Foetus Pose: गर्भासन हठ योगा का हिस्सा है, जो कि योगा के सबसे मुश्किल आसनों में आता है. आइए, गर्भासन के लाभ जानते हैं
Garbhasana Yoga Benefits: जिस योगासन की हम इस आर्टिकल में बात कर रहे हैं, उसका नाम गर्भासन योगा है. गर्भासन योगा करना काफी मुश्किल काम है, लेकिन इससे मिलने वाले फायदे इतने शानदार हैं कि आप इस योगासन को जरूर करना चाहेंगे. गर्भासन को अंग्रेजी में Foetus Pose या Embryo Pose और हिंदी में गर्भ पिंडासन (Garbha Pindasana Yoga) भी कहा जाता है, जो कि हठ योगा का हिस्सा है.
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Garbhasana Steps: गर्भासन कैसे करें या गर्भासन की विधि
अगर आप गर्भासन करने की विधि जानना चाहते हैं, तो निम्नलिखित स्टेप पढ़ें.
सबसे पहले पद्मासन योग की मुद्रा में योगा मैट पर बैठ जाएं.
अब दोनों हाथों को जांघ और पिंडली के बीच की खाली जगह में रखें.
इसके बाद हाथों को पिंडलियों के नीचे से निकालते हुए बाहर की तरफ लाएं.
फिर सांस बाहर की तरफ छोड़ते हुए दोनों हाथों को कान की तरफ लाने की कोशिश करें और पैरों को पद्मासन की स्थिति में ही छाती की तरफ लेकर आएं.
अपने शरीर का पूरा भार कूल्हों पर संतुलित करें और हाथों से दोनों कान पकड़ें.
कुछ देर इसी स्थिति में संतुलन बनाए रखें और धीरे-धीरे सांस लेते रहें.
अब हाथों को कान से हटाकर धीरे-धीरे नीचे लाएं और फिर कुछ देर पद्मासन की स्थिति में बैठे रहें.
गर्भ पिंडासन सबसे मुश्किल योगासनों में से एक है. लेकिन, इस योगासन को और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बनाने के लिए हाथों से विपरीत तरफ के कान पकड़ने की कोशिश करें. अगर हाथों से कान नहीं पकड़े जा रहे, तो हाथों को नमस्कार की मुद्रा में भी रखा जा सकता है.
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Foetus Pose Precaution: गर्भासन के दौरान ये सावधानी बरतें
गर्भासन करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
सिर्फ खाली पेट और ढीले कपड़ों में ही गर्भासन करें.
कमर, कूल्हे या निचले शरीर में दर्द या चोट होने पर ये योगासन ना करें.
हाई ब्लड प्रेशर के रोगी गर्भ पिंडासन ना करें.
गर्भवती महिलाएं सिर्फ डॉक्टर की सलाह से यह योगासन करें.
Benefits of Garbhasana: गर्भासन करने के फायदे
Foetus Pose Benefits: गर्भासन के लाभ निम्नलिखित हैं. जैसे-
महिलाओं को मासिक धर्म के दर्द और परेशानी से राहत मिलती है.
पेट की मांसपेशी मजबूत होती हैं और गैस व कब्ज से राहत मिलती है.
मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और गुस्सा व तनाव कम होता है.
फोकस और शांति बढ़ती है.
शारीरिक संतुलन बढ़ता है.
शरीर में ब्लड और ऑक्सीजन सुधरती है, जिससे स्किन ग्लो करने लगती है.
हाथ और रीढ़ की हड्डी मजबूत बन जाती है आदि.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.