खराब हवा हमारे कान, नाक और गले को कर रही है खराब, लेकिन पॉल्यूशन को हल्के में ले रहे लोग
सर्दियों में एयर पॉल्यूशन अपने पीक पर होता है, जो हमारी सेहत को बुरी तरह बर्बाद कर रहा है, लेकिन लोग इसको लेकर इतने जागरूक नजर नहीं आ रही है, न ही अपनी सेफ्टी पर ध्यान दे रहे हैं.
ENT Problems Due to Severe Air Pollution: दिल्ली समेत भारत के कई ऐसे शहर हैं जो एयर पॉल्यूशन के मामले में वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप-10 में आते हैं, इससे साबित होता है कि यहां की हवा कितनी खराब हो चुकी है. जाहिर सी बात है इसका असर हमारी सेहत पर जरूर पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट अगाह करते हुए बताते हैं कि वायु प्रदूषण का गहरा असर ईएनटी यानी कान, नाक और गले पर पड़ता है.
डॉक्टर ने किया आगाह
मशहूर ईएनटी स्पेशलिस्ट सर्जन डॉ. धीरेंद्र सिंह (Dr. Dhirendra Singh) का कहना है, "जबकि खतरनाक एयर क्वालिटी सभी के सेहत के लिए फिक्र का सबब है, बच्चे खास तौर से इसको लेकर सेंसिटिव होते हैं. उनके डेवलपिंग रिस्पिरेटरी ऑर्गन और सिस्टम लॉन्ग टर्म डैमेज के लिए ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इस तरह की हवा के बढ़ते संपर्क से नाक और कान में सेंसिटिव म्यूकस मेंबरेन में जलन हो सकती है, जिसके कारण समय के साथ क्रोनिक कंडीशंस हो सकते हैं. विशेष रूप से जब आंकड़े बताते हैं कि एक बड़ी संख्या में लोग इसे एक गंभीर मुद्दा नहीं मानते हैं, तो बाहरी संपर्क को कम करना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना जरूरी है.
महानगरों की हालत
मेट्रोपॉलिटन एरियाज में, जहां कई कंस्ट्रक्शन साइट्स पहले से ही हवा में गंदगी और प्रदूषण एड करते हैं, कई लोगों के लिए असुविधा पैदा करने के लिए काफी है, ऐसे में पॉल्यूशन इन मामलों को और बदतर बना देगा, जिसकी वजह से ईएनटी वेलबीइंग लगातार कम हो रहा है. आंखों की सेहत पर भी खास ध्यान दिया जाना चाहिए, जहां प्रोटेक्टिव चश्मे और प्रोपर रेस्ट काम आते हैं."
ENT पर पॉल्यूशन का इफेक्ट
हेल्थकेयर प्रोवाइडर प्रिस्टिन केयर द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे ने प्रदूषण के असर के बारे में चौंकाने वाले रिजल्ट सामने लाए है. जो आंख, कान, नाक और गले (ईएनटी) की सेहत पर बात करते हैं. सर्वेक्षण, जिसमें दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर जैसे शहरों के 56,176 लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं; पाया गया कि तकरीबन आधे (41%) ने हाई पॉल्यूशन पीरियड के दौरान आंखों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में बड़ा इजाफा देखा गया, जबकि 55% ने अपने कान, नाक या गले को प्रभावित करने वाली समान समस्याओं की रिपोर्ट दी.
38% ने प्रदूषण के महीनों में सूखी आंखें, आंखों में जलन और सूजन का सामना करने की रिपोर्ट दी है. रेडनेस और खुजली भी आम लक्षणों के रूप में सामने आई, जिसमें रिस्पॉन्डेंट ने प्रदूषण बढ़ने के दौरान इन मुद्दों में जबरदस्त इजाफे की बात बताई. गले में खराश, नाक में जलन और कान में परेशानी जैसी ईएनटी समस्याएं भी खास थीं, जिससे काफी असुविधा हुई और लॉन्ग टर्म हेल्थ इम्पैक्ट के बारे में चिंताएं बढ़ गईं. फिर भी, 68% का कहना है कि वे प्रदूषण से जुड़े इन ईएनटी मसले के लिए किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह नहीं लेते हैं.
प्रदूषण को हल्के में न लें
मशहूर सर्जन डॉ. वैभव कपूर (Dr Vaibhav Kapoor) ने कहा, "ये बात चौंकाने वाली है कि लोग पॉल्यूशन और हेल्थ पर इसके नुकसानदेह असर को कितनी हल्के में लेते हैं. आंख और ईएनटी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में इजाफा प्रोटेक्टिव स्टेप की तुरंत जरूरत पर जोर डालती है. बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, लोगों को अपनी सेहत की हिफाजत के लिए एक्टिव स्टेप उठाने की जरूरत है. हेल्थकेयर प्रोफाइडर के रूप में, हम फिक्रमंद हैं, लेकिन खासतौर से इन चैलेंजिंग टाइम के दौरान, आंख और ईएनटी हेल्थ दोनों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कमिटेड हैं.
इन चुनौतियों के बावजूद, सर्वे ने जनता के बीच पर्याप्त प्रिवेंटिव उपायों की कमी को सामने लाया है. सिर्फ 35% रिस्पॉन्डेंट ने प्रोटेक्टिव चश्मे या धूप के चश्मे पहनने की बात मानी, और तकरीबन 40% ने हाई पॉल्यूशन वाले दिनों के दौरान ईएनटी से जुड़े मसले के लिए कोई खास सावधानी नहीं बरतने की बात स्वीकार की. फिर भी, आधे से ज्यादा लोग पॉल्यूशन के लॉन्ग टर्म इफेक्ट के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं, जिसमें आंख और ईएनटी हेल्थ शामिल हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.