नई दिल्ली: वर्तमान जीवन शैली में इंसान को कई तरह की बीमारियां होने लगी हैं. इन्हीं में से एक खतरनाक बीमारी है थायरॉइड (Thyroid). थायरॉइड की बीमारी आज इतनी तेजी से फैल रही है कि हर 10 में से 4 लोग आज इससे ग्रस्त हैं. गौरतलब है कि थायरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है, जो गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर होती है. दरअसल, थायरॉइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि (Endocrine Gland) है, जो हॉर्मोन्स को बनाती है.


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थायरॉइड की बीमारी महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है. थायरॉइड मुख्यतः दो तरह का होता है, जिसमें पहला हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) है और दूसरा हाइपोथायरॉइड (Hypothyroid).


थायरॉइड (Thyroid Symptoms) के लक्षण
जो लोग घबराहट या चिड़चिड़ेपन के शिकार हो गए हैं, वे थायरॉइड से पीड़ित हो सकते हैं. इसके अलावा इसके लक्षणों में अधिक पसीना आना, हाथों में कंपन, बालों का पतला होना एवं झड़ना, नींद न आना, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना आदि भी शामिल हैं.


दिल की धड़कन बढ़ना, बहुत भूख लगने के बाद भी वजन घटना, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता भी थायरॉइड के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं.


थायरॉइड को करें जड़ से खत्म
अगर किसी को थायरॉइड की समस्या है तो उसे आयोडीन (Iodine) का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. चिकित्सक भी थायरॉइड के मरीज को आयोडीनयुक्त भोजन करने की सलाह देते हैं. आयो‍डीन थायरॉइड ग्रंथि के दुष्प्रभाव को कम करने में सक्षम है. यही नहीं, मछली के सेवन से भी कुछ हद तक थायरॉइड की समस्या कंट्रोल की जा सकती है. इसमें आयोडीन की मात्रा अधिक होती है. वैसे तो लगभग सभी मछलियों में आयोडीन पाया जाता है, लेकिन समुद्री मछलियों में ज्‍यादा मात्रा में आयोडीन पाया जाता है.


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इस्तेमाल करें डेयरी प्रोडक्ट्स
डेयरी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से भी थायरॉइड (Thyroid) की समस्या से राहत मिलती है. गौरतलब है कि दूध और दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं. दही खाने से शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune System) मजबूत होता है.


मुलेठी खाना फायदेमंद 
मुलेठी खाने से भी थायरॉइड की समस्या खत्म हो जाती है. इसमें वे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं, जो थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित करन में मदद करते हैं और थकावट को कम करते हैं. इसके अलावा सोया खाने से भी थायरॉइड की समस्या से निजात मिलती है.


सोया मिल्‍क, टोफू या सोयाबीन में ऐसे केमिकल पाए जाते हैं, जो हॉर्मोन को सुचारु रूप से काम करने में मदद करते हैं. लेकिन इसके साथ ही आपको आयोडीन की मात्रा को भी नियंत्रित रखना होता है.


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