नई दिल्लीः हीमोफीलिया एक ऐसी आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें हल्की चोट के बावजूद खून बहता रहता है और बहता हुआ यह खून आसानी से जमता नहीं है. ऐसे में किसी एक्सीडेंट या चोट में यह बीमारी कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है, क्योंकि खून का बहना आसानी से बंद नहीं होता और इसी के चलते खून ज्यादा बह जाता है और यह मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हीमोफीलिया के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि हीमोफीलिया का सबसे बड़ा कारण है, रक्त में प्रोटीन की कमी. जिससे क्लॉटिंग फैक्टर पर असर पड़ता है. दरअसल, खून बहने से रोकने में क्लॉटिंग फैक्टर का काफी प्रभाव पड़ता है. बता दें हीमोफीलिया तीन प्रकार के होते हैं, ए, बी और सी.


देखें लाइव टीवी



महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में बैन हुआ जंक फूड, अब से कैंटीन में मिलेगा सेहतमंद खाना


हीमोफीलिया का इलाज
हीमोफीलिया का प्राथमिक उपचार फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी है, जिसमें क्लॉटिंग फैक्टर को रिप्लेस करने का काम किया जाता है. इस थैरेपी में ब्लड प्लाजमा को एकत्र करके इसे शुद्ध किया जाता है. 


मंहगी क्रीम नहीं ये विटामिन दूर करेंगे आपके स्ट्रेच मार्क्स, त्वचा होगी और भी खूबसूरत


हीमोफीलिया के मरीज क्या करें
हीमोफीलिया के मरीजों को अक्सर यह सलाह दी जाती है कि वह हड्डियों और मांसपेशियों में सुधार करने वाली एक्सरसाइज करें और अपने वजन को कंट्रोल करें. साथ ही मरीज ऐसी शारीरिक गतिविधि से दूर रहे जिसमें चोट लगने का खतरा हो. इसके अलावा अगर मरीज के दांत से खून निकलता है तो अपने डॉक्टर से सलाह लें और ऐसा ब्रश इस्तेमाल करें जो सॉफ्ट हो. इसके अलावा समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लेना ना भूलें.


इन देशों में हुआ विकास तो 2010 के बाद HIV मामलों में आई गिरावट


इसके अलावा ब्लड-थिनिंग दवा जैसे कि वार्फरिन और हेपरिन लेने से बचें. एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं से बचना भी बेहतर है. रक्त संक्रमण के लिए नियमित रूप से परीक्षण करें और हेपेटाइटिस ए और बी के टीकाकरण के बारे में अपने डॉक्टर की सलाह लें.