Kota suicide news: भारत के कोचिंग हब कहे जाने वाले शहर कोटा में सुसाइड का सिलसिला लगातार जारी है. यहां मंगलवार देर शाम एक और कोचिंग स्टूडेंट ने अपनी जान दे दी. जानकारी के अनुसार, मृतक छात्रा रांची (झारखंड) की रहने वाली थी और वह या नीट (NEET) की तैयारी कर रही थी. इसी के साथ ही, बीते 8 महीने में कोटा में स्टूडेंट खुदकुशी का आंकड़ा 24 पहुंच गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुसाइड का सबसे बड़ा कारण तनाव है. कोटा में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र तरह-तरह के तनाव झेलते हैं, जिसमें से कुछ तो हारकर अपनी जिंदगी खत्म कर देते हैं. बता दें कि बच्चों का मन बहुत ही चंचल व कमजोर होता है, जिसकी वजह से वह आसानी से भटक जाते हैं. बच्चों में सुसाइड के ख्याल को रोकने के लिए पेरेंट्स को ही सबसे पहले कदम उठाने होंगे.


किस तरह बच्चों में सुसाइड के ख्याल को रोक?
पहली बात तो अपने बच्चे पर किसी भी तरह का दबाव न डालें. इसके बाद, अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा कुछ गलत सोच रहा है या इसके संकेत मिल रहे हैं तो नीचे बताई गई टिप्स को फॉलो करें.
बात का महत्व: अपने बच्चे के साथ खुले और समझदारी से बातचीत करें. उनसे उनकी भावनाओं, चिंताओं और खुशियों के बारे में बात करें ताकि वे आपको अपने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता सकें.
समय दें: अपने बच्चे के साथ समय बिताएं और उनके साथ उनके पसंदीदा गतिविधियों में भाग लें.
बच्चे की सुनने की आदत डालें: अपने बच्चे को लगातार अहसास दिलाएं कि आप उनके साथ हैं और उनकी बातों को सुनते हैं.
सोशल नेटवर्क की निगरानी: अपने बच्चे के सोशल मीडिया और इंटरनेट के उपयोग पर नजर रखें और उनके ऑनलाइन सुरक्षा की निगरानी करें.
सुसाइड के लक्षणों की जानकारी: सुसाइड के लक्षणों को समझें ताकि आप उन्हें पहचान सके, जैसे कि सामाजिक अलगाव, खुद को अकेला महसूस करना या असहमति और खुदकुशी के विचार.
एक्सपर्ट की मदद: यदि आपका बच्चा कुछ भी सुसाइड के बारे में बात करता है, तो तुरंत किसी एक्सपर्ट की मदद लें, जैसे कि एक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट या सुसाइड हेल्पलाइन पर कॉल करें.