नई दिल्ली: ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह (बीसीएएम) एक विश्वव्यापी अभियान है जो हर साल अक्टूबर के महीने में चलता है. लायंस क्लब ऑफ भारत आईकॉन द्वारा बीसीएएम के सम्मान में आयोजित एक महत्त्वूर्ण डिजिटल चर्चा के दौरान, परमानेंट मेकअप की भूमिका की चर्चा और उन लाभों का लाभ उठाया गया है, जो अभ्यास के इस चमत्कारी रूप से स्तन या किसी अन्य रूप में बचे रह सकते हैं. अलग अलग तरह के कैंसर ट्रीटमेंट को सामने लाया गया और चर्चा की.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

परमानेंट मेकअप प्रक्रियाएं कैंसर से पीड़ित लोगों पर बेहद सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. एक बार बीमारी के साथ लड़ाई खत्म हो जाने के बाद, एक महिला को अक्सर एक थकी हुई आत्मा और शरीर के साथ छोड़ दिया जाता है, जो महीनों तक जंग का मैदान बन जाता था, परमानेंट मेकअप और पैरा-मेडिकल ट्रीटमेंट ऐसी महिलाओं के लिए एक आशीर्वाद बन गया है जो उन्हें खूबसूरत और नॉर्मल महसूस कराता है.


परमानेंट मेकअप कैसे कैंसर से बचाता है, इस पर मीडिया को साझा करते हुए, शगुन कहती है, 'स्तन कैंसर के पीड़ित लोगों के लिए, निप्पल / अरेला बहाली के लिए परमानेंट मेकअप का उपयोग किया जा सकता है. अगर किसी को स्तन पुनर्निर्माण करवाना होता है तो थ्री डी एरोला के माध्यम की तकनीक होती हैं और उसे फिर से बनाया जा सकता है.


वह आगे कहती है, 'पोस्ट-कीमो बालों के झड़ने, कीमोथेरेपी अक्सर किसी व्यक्ति के बालों को परेशान कर देती है. परमानेंट मेकअप इंटरनल तरीके से  बालों को मदद कर सकता है या भौंहों के बाल बना सकता है. यह उन्हें अलग-अलग दिखने वाले प्राकृतिक भौहें बनाने में भी मदद करता है.  हम दुर्घटनाग्रस्त रोगियों की सुंदरता को भी वापस पा रहे हैं. '


'ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस' महीने के इस मौके पर, लायंस क्लब ऑफ भारत आइकन के अध्यक्ष श्री अखिल बंसल, जिन्होंने विशेष रूप से शगुन गुप्ता के परमानेंट मेकअप स्टूडियो का दौरा किया और माइक्रो पिग्मेंटेशन एक्सपर्ट शगुन गुप्ता को सम्मानित किया और कहते हैं, 'हम शगुन गुप्ता जी को ऑनबोर्ड लेकर बेहद खुश हैं और हमारे क्लब में महिला सशक्तीकरण के लिए डॉयरेक्टर के रूप में शगुन जी बोहोत कुछ कर सकती है. वह मरीजों को सुंदर, पोस्ट सर्जरी, कीमोथेरेपी प्रक्रिया करके शानदार काम कर रही हैं. लोगों को उनकी मुस्कान और आत्मविश्वास वापस मिल जाता है क्योंकि मरीज अपने बालों, पलकों, भौंहों, निपल्स और अग्रिम के माध्यम से फ़िर से प्राप्त करते है और ये सिर्फ पीएमयू की तकनीक से मुमकिन है. '


शगुन गुप्ता आखिर में ये कहती है कि 'पहले केवल वे लोग जो संपन्न थे और विदेश में महंगे विशेषज्ञों से मिलने का खर्च उठा सकते थे वही ये ट्रीटमेंट करते थे, हमने भारत में लोगों की चौखट तक विश्व स्तरीय सेवाओं को पहुंचाया है. अब, परमानेंट मेकअप केवल पैसे वाले लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है, बल्कि ऐसी चीज जो मध्यम वर्ग या निम्न-मध्यम वर्ग के लिए भी उपलब्ध है