Lungs Health: मौसम में हुए परिवर्तन ने यह प्रतीत दे दिया है कि सर्दियां आ रही है. दिवाली के पटाखों और जलवायु परिवर्तन के चलते प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर के लोग संघर्ष कर रहे हैं. बदलते मौसम के कारण होने वाला प्रदूषण और एलर्जी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में अपने फेफड़ों और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उनकी केयर करना आवश्यक हो जाता है. थोड़ी सी सावधानी और उपाय से आप इस खतरे से बच सकते हैं. आइए जानते हैं कि प्रदूषण के बढ़ते इस स्तर में क्या आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर अपने फेफड़ों को मजबूत किया जाए.


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तुलसी
तुलसी प्रदूषण से लड़ने की क्षमता के लिए जानी जाती है. इसके पौधे प्रदूषण को अब्जॉर्ब करने में मदद करते हैं. इसलिए इन्हें हर घर में लगाना चाहिए. इसके अलावा, तुलसी के रस के सेवन से सांस लेने वाले रास्ते से प्रदूषकों को साफ करने में मदद मिलती है.


नीम
नीम अशुद्धियों को अब्जॉर्ब करने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है. नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्किन और बालों को धोने से चिपका हुआ प्रदूषक साफ हो जाता है. हफ्ते में कम से कम दो बार तीन से चार पत्ते खाने से भी ब्लड और लिम्फेटिक टिशू को साफ करने में मदद मिलती है.


पिप्पली
फेफड़ों को साफ करने के लिए एक और सुपर जड़ी बूटी है पिप्पली, जो सांस लेने को आसान बनाती है. इसके अलावा, यह अपने कायाकल्प गुणों के कारण फेफड़ों के संक्रमण के खिलाफ बहुत प्रभावी है. पिप्पली के चूर्ण को अदरक, हल्दी और शहद के साथ मिलाकर खाएं. इससे बीमार फेफड़ों की सेहत में सुधार होगा.


अडूसा
पिप्पली के समान ही अदुसा को मालाबार नट के नाम से भी जाना जाता है. अडूसा के पाउडर को शहद के साथ सेवन करने से रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन जैसे काली खांसी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के लिए फायदेमंद माना जाता है.


Disclaimer: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.