नई दिल्ली: जिन लोगों का वजन अधिक है, जो लोग मोटापे (Obesity) का शिकार हैं और वैसे लोग जो डायबिटीज (Diabetes) के मरीज हैं उन्हें नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज होने का खतरा सबसे ज्यादा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत की करीब 9 प्रतिशत से 32 प्रतिशत आबादी को नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) है. बहुत से लोगों को लगता है कि लिवर से जुड़ी बीमारी (Liver Disease) या लिवर खराब होने की समस्या सिर्फ उन्हीं लोगों को होती है जो लोग शराब पीते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. इन दिनों बिना अल्कोहल का सेवन किए हुए भी फैटी लिवर डिजीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है.


डायबिटीज पेशेंट्स को NAFLD होने का खतरा 80% अधिक


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अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी है उन्हें नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज होने का खतरा 40 से 80 प्रतिशत तक अधिक होता है तो वहीं जिन लोगों को मोटापे की समस्या है उनमें इस बीमारी का खतरा 30 से 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इस बारे में हुई कई स्टडीज में यह बात भी सामने आयी है कि जिन लोगों को नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज NAFLD होता है उन मरीजों में कार्डियोवस्क्युलर डिजीज यानी हृदय रोग का खतरा भी काफी अधिक होता है. 


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अतिरिक्त फैट की वजह से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाता है


मोटापे की समस्या नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज NAFLD से इसलिए जुड़ी हुई है क्योंकि शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट की वजह से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाता है और इन्फ्लेमेशन होने लगता है. इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से पैनक्रियाज को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है ताकि शरीर का ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य बना रहे और इसी वजह से डायबिटीज विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है.  


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NAFLD की वजह से लिवर कैंसर और सिरोसिस का भी खतरा


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज NAFLD बीमारी से जुड़े कुछ ऑपरेशनल गाइडलाइन्स को लॉन्च करते हुए बताया, 'NAFLD एक ऐसी बीमारी है जिसमें फैटी लिवर से जुड़े सेकेंडरी कारणों के बिना भी लिवर में असामान्य रूप से फैट जमा होने लगता है. इसकी वजह से कई और तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं जैसे- लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटो-हेपेटाइटिस (NASH). भारत में लिवर से जुड़ी बीमारियों का अहम कारण बनता जा रहा है नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज NAFLD.'        


अपनी लाइफस्टाइल और व्यवहार में बदलाव करके और बीमारी को समय पर डायग्नोज करके नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज NAFLD को आसानी से मैनेज किया जा सकता है.    


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