क्या आपके कभी सोचा है कि एक नॉर्मल किस जिसे हम प्यार का प्रतीक मानते हैं, वह किसी के लिए जानलेवा साबित हो सकता है? अगर नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं, जिससे आप हैरान हो सकते हैं. अमेरिका के बोस्टन में रहने वाली 25 वर्षीय कैरोलीन क्रे क्विन के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसकी जिंदगी ही पलट गई. कैरोलीन एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं, जिसे मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम (MCAS) कहा जाता है. यह बीमारी केवल 1.50 लाख लोगों में से केवल किसी एक को ही होती है.


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MCAS एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की ब्लड सेल्स खाने, खुशबू और पर्यावरण में मौजूद कुछ ट्रिगर्स के प्रति असामान्य रूप से प्रतिक्रिया करती हैं. कैरोलीन के मामले में यह बीमारी इतनी गंभीर है कि वह केवल दो चीजें ही खा सकती हैं- ओट्स और एक विशेष न्यूट्रिशनल फॉर्मूला. अगर वह कुछ भी अन्य खाने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें जानलेवा एलर्जी प्रतिक्रिया हो सकती है.


यहां तक कि किसी ऐसे व्यक्ति को किस करना (जिसने उनके एलर्जन वाली चीजें खाई हों) उनके लिए खतरनाक हो सकता है. इस वजह से उनकी लव लाइफ भी काफी कॉम्प्लिकेटेड हो गई है. कैरोलीन ने हाल ही में अपने डेटिंग के अनुभवों को एक टिक टॉक वीडियो में शेयर किया, जिसे अब तक 17 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. उन्होंने बताया कि उन्हें किस करने से पहले अपने पार्टनर को कुछ सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है.


किस करने के लिए क्या करती हैं कैरोलीन?
कैरोलीन ने वीडियो में बताया कि जिसे भी मुझे किस करना हो, उसे तीन घंटे पहले कुछ नहीं खाना चाहिए और मेरे 6 मुख्य एलर्जन (पीनट्स, नट्स, सीसम, मस्टर्ड, सीफूड या कीवी) 24 घंटे पहले बिल्कुल नहीं खाने चाहिए. कैरोलीन ने कहा कि उनके बॉयफ्रेंड रयान इन नियमों का पूरी तरह से पालन करते हैं और उनके साथ रहते समय वही खाना खाते हैं, जो कैरोलीन खाती हैं.


2017 में पहली बार हुई थी एलर्जी
कैरोलीन की बीमारी 2017 में तब सामने आई जब उन्हें नट्स से क्रॉस-कंटैमिनेशन के कारण एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया हुई, जो बाद में अन्य फूड्स के प्रति भी एलर्जिक बना दिया. हालांकि यह बीमारी उनके जीवन को जटिल बनाती है, लेकिन कैरोलीन ने खुद को इससे सीमित नहीं किया है. वह कहती हैं कि मैं अपने डर के कारण जिंदगी का आनंद लेना नहीं छोड़ सकती. MCAS से पीड़ित लोगों के लिए मामूली गलती भी घातक साबित हो सकती है, लेकिन कैरोलीन जैसे लोग इस बीमारी के साथ भी जीवन जीने की जिद को साबित करते हैं.