भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर अब धीरे-धीरे कंट्रोल की जा रही है और मामलों में भारी गिरावट देखी जा रही है. लेकिन देश के हेल्थ एक्सपर्ट अभी से कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए तैयारी कर रहे हैं. जिसके लिए सबसे बड़ा कोरोना टीकाकरण अभियान देश में चल रहा है. कोरोना का टीका लगवाने (Corona Vaccine) से शरीर की इम्यूनिटी SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ बढ़ जाती है. लेकिन हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, उनके शरीर में कोविड वैक्सीन के बिना भी एक साल तक एंटीबॉडी मौजूद रहती हैं और उनकी इम्यूनिटी इस वायरस के खिलाफ मजबूत रहती है.


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63 लोगों पर किया गया अध्ययन
Nature वेबसाइट पर प्रकाशित इस स्टडी में शोधकर्ताओं की टीम ने 63 लोगों का अध्ययन किया. जो कि कोविड इंफेक्शन (Covid Infection) से करीब 1.3 महीने, 6 महीने और 12 महीने पहले उबरे थे. जिनमें से 41 प्रतिशत यानी 26 लोगों को फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना वैक्सीन वैक्सीन की एक खुराक मिली हुई थी. रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क के वेइन कॉर्नेल मेडिसिन की टीम के नेतृत्व में किए गए शोध के मुताबिक कोविड-19 इंफेक्शन से ठीक होने वाले लोगों के शरीर में एंटीबॉडी और इम्यून मेमोरी करीब 6 महीने से लेकर 1 साल तक बनी रह सकती है. जो कि SARS-CoV-2 के खिलाफ इम्यूनिटी के लंबे समय तक होने को दर्शाता है.


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कोरोना वैक्सीन के बाद हो जाता है कमाल
अध्ययन के मुताबिक, "कोविड वैक्सीनेशन के बिना भी सार्स-सीओवी-2 वायरस के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) के प्रति एंटीबॉडी रिएक्टिविटी, न्यूट्रालाइजिंग एक्टिविटी और आरबीडी-स्पेसिफिक मेमोरी बी सेल्स 6 महीने से लेकर 12 महीने तक स्थिर रह सकती हैं." लेकिन, कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके, जो लोग कोरोना वैक्सीन लगवा लेते हैं, उनके शरीर में नाटकीय अंदाज से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. इससे कोरोना के गंभीर से गंभीर वैरिएंट (वैरिएंट ऑफ कंसर्न) को हराने में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है.