आपके बच्चे के दिमागी विकास को रोक सकता है कोरोना, आज से ही अपनाएं ये तरीके
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आपके बच्चे के दिमागी विकास को रोक सकता है कोरोना, आज से ही अपनाएं ये तरीके

कोरोना आपके बच्चे का दिमागी विकास रोक सकता है, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि आपको क्या करना है.

सांकेतिक तस्वीर

हर जगह कोरोना का डर फैला हुआ है. यह डर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डाल सकता है. वहीं, एक्सपर्ट ने आशंका जताई थी कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है. यह जानकारी भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बहुत गंभीर तरीके से नुकसान पहुंचा सकती हैं. लेकिन इस दौरान अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए आप ही कुछ कर सकते हैं. जिसके बारे में भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुछ तरीके बताए हैं. आप इन टिप्स को फॉलो करके कोरोना को अपने बच्चे के दिमाग पर हावी होने से बचा सकते हैं और उसके लिए जरूरी सपोर्ट और प्यार दे सकते हैं.

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कोरोना के डर का बच्चों के दिमाग पर प्रभाव
कोरोना का डर बच्चों के दिमाग पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इसके अलावा, लॉकडाउन में बाहरी समाज से कटाव भी इस समस्या में आग में घी का काम कर सकता है. बच्चों का दिमाग विकासशील होता है और कोरोना के बारे में ही सोचने से दिमाग अस्वस्थ हो सकता है. इसके अस्वस्थ होने से बच्चों के दिमागी विकास में बाधा आ सकती है. साथ ही कई मानसिक समस्याएं भी घेर सकती हैं. जैसे-

  • तनाव
  • अवसाद
  • चिंता
  • चिड़चिड़ा हो जाना
  • ढंग से खाना ना खाना
  • लोगों से ना मिलना
  • आप से बात ना करना, आदि

बच्चों के दिमाग पर कैसे हावी ना होने दें कोरोना का डर
भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक इंफोग्राफिक वीडियो शेयर की है. जिसमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के तरीके बताए हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.

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1. बच्चे के भावों पर ध्यान रखें
कोरोना का डर आपके बच्चे को प्रभावित कर रहा है या नहीं, यह जानने के लिए आपको उसके भावों मतलब इमोशन्स पर ध्यान देना चाहिए. तनाव व चिंता के कारण बच्चों के भाव में परिवर्तन आ सकता है. जैसे- छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करना, उदास रहना, जरा-सा डांटने पर रो देना आदि.

2. उनकी बात सुनें
इस तनावग्रस्त माहौल में हर कोई परेशान है, साथ ही पर्सनल और वर्क लाइफ के बीच संतुलन बना पाना इस वक्त काफी मुश्किल है. ऐसे में मां-बाप बच्चों की बातों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते. लेकिन ये ना भूलें कि इस दौरान उन्हें भी आपकी काफी जरूरत है. आप उनकी बातों को सुनें और समझने की कोशिश करें कि आखिर वो क्या महसूस कर रहे हैं.

3. दोनों का नजरिया है जरूरी
आप बच्चों से वयस्कों जितनी समझदारी और परिपक्वता की उम्मीद नहीं कर सकते. हो सकता है कि वह इस माहौल को ढंग से समझ ना पा रहे हों और एक अलग नजरिये से हालातों को देख रहे हों. इसलिए आप आराम से उनके नजरिये को सुनें और आसानी व विस्तार से अपना नजरिया उन्हें समझाएं.

4. फीलिंग्स हैं सामान्य
मानसिक स्वास्थ्य काफी संवेदनशील होता है. मतलब किसी समस्या के कारण आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है और फिर उसी चिड़चिड़ेपन पर आपको गुस्सा आ सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. बच्चों के साथ भी यह हो सकता है. कोरोना के डर के कारण उनके अंदर जो बदलाव आ रहे हैं, उनको लेकर वह अधिक चिंतित हो सकते हैं. ऐसे में उन्हें समझाएं कि यह बदलाव या भावनाएं सामान्य हैं और आपको भी इन फीलिंग्स को कंट्रोल करना पड़ता है.

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5. परेशानियों का हल ढूंढने के लिए प्रेरित करें
अगर कोई समस्या उन्हें अधिक परेशान कर रही है, तो उन्हें उसका हल निकालने के लिए प्रेरित करें. जैसे अगर वो अपने दोस्तों से नहीं मिल पा रहे हैं, तो वीडियो कॉलिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है. वहीं, ऑनलाइन ग्रुप स्टडी या गेमिंग भी उनके अकेलेपन को खत्म कर सकता है.

6. समय और साथ दोनों दें
इस समय बच्चे स्कूल, ट्यूशन, पार्क या दोस्तों से मिलने कहीं नहीं जा सकते हैं, जो कि उन्हें तनावग्रस्त या चिंतित करने के लिए काफी है. इससे वह अकेला महसूस करने लग सकते हैं. लेकिन आप उनके साथ रहें और उन्हें भरपूर समय और प्यार दें. इससे उनका ध्यान भटकेगा और वह थोड़ा व्यस्त रहेंगे. वहीं, यह समय अपने और बच्चे के बीच प्यार, दोस्ती व घनिष्ठा बढ़ाने के लिए बेहतरीन है.

7. पर्सनल स्पेस दें
पूरे दिन माता-पिता के साथ रहने से बच्चों का पर्सनल स्पेस चला गया है. जहां वह बिना किसी डर के कुछ भी नहीं कर सकते हैं. ध्यान रखें कि पर्सनल स्पेस हर किसी के लिए जरूरी है. हालांकि, बच्चों पर ध्यान देते रहें कि वो जो कर रहा है, वह उसके लिए सही है या नहीं.

8. प्यार और इज्जत से बात करें
बच्चों के साथ प्यार और इज्जत से बात करें. इससे ना सिर्फ उन्हें मानसिक शांति मिलेगी, बल्कि उनकी नजरों में आपके लिए भी इज्जत बढ़ेगी. बच्चे वही करते हैं, जो वो हमसे सीखते हैं. इसलिए आपका यह व्यवहार भविष्य में उनके भी प्यार और इज्जत से बात करने की संभावना बढ़ाएगा.

यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. इसका हम दावा नहीं करते हैं.

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