प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी डिसआर्डर (PIDs) दुर्लभ जेनेटिक बीमारी का एक ग्रुप है, जो इम्यून सिस्टम के विकास और काम को खराब करता है. इम्यून सिस्टम शरीर के बैक्टीरिया, वायरस, फंगी और अन्य पाथोजनों द्वारा होने वाले संक्रमणों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी डिसआर्डर वाले व्यक्तियों के इम्यून सिस्टम में खराबी होती है, जिसके कारण उन्हें बार-बार और गंभीर संक्रमण हो जाते हैं.


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न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा ने बताया कि 400 से अधिक विभिन्न प्रकार के प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी डिसऑर्डर होते हैं. कुछ पीआईडी इम्यून सेल्स जैसे टी सेल्स, बी सेल्स या नेचुरल किलर सेल्स के विकास को प्रभावित करते हैं, जबकि अन्य इन सेल्स के काम को प्रभावित करते हैं.  डॉ. विज्ञान ने आगे बताया कि इस बीमारी के लक्षण विशेष डिसऑर्डर के आधार पर अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण भी होते हैं, जैसे व्यक्ति में बार-बार और गंभीर रेस्पिरेटरी ट्रैक के संक्रमण, लगातार फंगल संक्रमण, लंबे समय तक चलने वाला दस्त, घावों का धीमा भरना और शिशुओं में पनपने में विफलता शामिल हैं. पीआईडी ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण भी बन सकती है, जहां इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के अपने टिशू पर हमला करती है.


कब डायग्नोस होती है बीमारी?
न्यूबर्ग सेंटर फॉर जीनोमिक मेडिसिन (एनसीजीएम) में जीनोमिक्स डिवीजन की डायरेक्टर डॉ. शीतल शारदा ने बताया कि इस बीमारी का डायग्नोस बचपन या जवानी में किया जा सकता है. ये डिसआर्डर जेनेटिक म्युटेशन के परिणामस्वरूप होते हैं जो टी सेल्स, बी सेल्स, फैगोसाइट्स या कॉम्प्लीमेंट प्रोटीन सहित इम्यून सिस्टम के विभिन्न कंपोनेंट को खराब करते हैं. यह समस्या व्यक्तियों को बार-बार होने वाले, गंभीर और कभी-कभी जीवन-घातक संक्रमणों के प्रति संवेदनशील बना देती है. आपको बता दें कि प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी की जटिलताएं इसके प्रकार पर निर्भर करती हैं, लेकिन इससे बार-बार इन्फेक्शन होना, कैंसर का खतरा बढ़ना, दिल या फेफड़ों को नुकसान और गंभीर संक्रमण से मौत भी हो सकती है.