कोविड-19 के वेरिएंट्स से लड़ने के लिए तैयार हुए नैनोपार्टिकल्स, साइंटिस्ट्स को मिली बड़ी कामयाबी
Coronavirus: कोरोना वायरस अपने नए नए वेरिएंट्स के जरिए मानव शरीर पर हमले करता रहता है, जिसको लेकर एक रिसर्च की गई जिससे भविष्य में हमारी सुरक्षा हो सकती है.
Nanoparticles That Target Multiple Coronavirus Variants: चीन के वूशी में मिशिगन यूनिवर्सिटी (University of Michigan) और जियांगनान यूनिवर्सिटी (Jiangnan University) के रिसर्चर्स की एक टीम ने नैनोपार्टिक्लस का निर्माण किया है जो SARS-CoV-2 वायरस के अलग-अलग स्ट्रेंस से लड़ सकते हैं. इस खोज में मौजूदा कोविड-19 (COVID-19) ट्रीटमेंट की प्रभावकारिता में सुधार करने की क्षमता है. स्टडी के रिजल्ट प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल (Proceedings of the National Academy of Sciences) जर्नल में प्रकाशित किए गए थे.
हमें नए ट्रीटमेंट की जरूरत क्यों है?
प्रभावी होने के बावजूद, एमआरएनए वैक्सीन कोविड-19 से पूरी तरह सुरक्षा नहीं देते हैं क्योंकि यह अभी भी टीकाकरण वाले व्यक्तियों, खास तौर से बुजुर्गों को प्रभावित कर सकता है. वायरस के उभरते हुए स्ट्रेंस मौजूदा चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे उनकी प्रभावकारिता बनाए रखने के लिए टीकों के लगातार अपडेट की जरूरत होती है.
मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निकोलस कोटोव (Nicholas Kotov ने फिज ओआरजी (Phys Org) को बताया, "हमारे इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी जेनेरेट करने के लिए वक्त की जरूरत होती है, जो कुछ लोगों के लिए बहुत देर हो सकती है. जबकि फाइजर (Pfizer) की पैक्सलोविड (Paxlovid) एंटीवायरल पिल्स ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, लेकिन ये सभी रोगियों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, खासकर जो लोग कार्डियोवेस्कुर डिजीज का सामना कर रहे हैं."
नैनोपार्टिकल कोविड वेरिएंट के खिलाफ कैसे काम करता है?
नैनोपार्टिकल स्पाइक प्रोटीन में ट्विस्ट को टारगेट करते हैं, जिसे चिरालिटी के रूप में जाना जाता है, जिससे उन्हें कई कोरोनवायरसेज के साथ इंटरैक्ट करने की मदद मिलती है. नैनोपार्टिकल के बाएं हाथ का ट्विट्स वायरस प्रोटीन के बाएं हाथ के ट्विस्ट से मेल खाता है, उनके बाइंडिंग को बढ़ाता है और कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए वायरस की क्षमता को कम करता है.
शुरुआती टेस्टिंग में नैनोपार्टिकल ट्रीटमेंट का रिजल्ट
स्यूडोवायरस के अलग-अलग स्ट्रेंन से संक्रमित चूहों पर परीक्षण ने आशाजनक परिणाम दिखाए, नैनोपार्टिकल ट्रीटमेंट ने उनके फेफड़ों से 95 फीसदी वायरस को साफ कर दिया. रिसर्चर्स का मकसद आगे के स्टडी के जरिए से मनुष्यों में इन नैनोपार्टिकल्स की सेफटी और लॉन्गिविटी की जांच करना है. चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और पेकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ ब्राजील सेंटर फॉर रिसर्च इन एनर्जी एंड मैटेरियल्स भी इस रिसर्च का हिस्सा थे. ये अध्ययन चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक सफलता है क्योंकि ये कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए एक आशाजनक मौके पेश करता है. आगे के रिसर्च और इनहांसमेंट के साथ, नैनोपार्टिकल्स कोविड-19 के प्रसार के प्रबंधन और रोकथाम में वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.