भले ही आपके घर में पाले हुए कुत्ते और बिल्लियां हेल्दी हों, लेकिन फिर भी उनके शरीर से मनुष्यों के शरीर में मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट ऑर्गेनिज्म (MDRO) यानी जीवाणु प्रवेश कर सकते हैं. ये जीव ऐसे होते हैं, जो आपको इलाज के दौरान दिए गए एक से अधिक एंटीबायोटिक का असर खत्म कर देते हैं. अस्पताल में भर्ती मरीज से भी खतरनाक जर्म्स पालतू जानवरों में प्रवेश कर सकते हैं.


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यह बात एक अध्ययन में सामने आई है, जो डेनमार्क के कोपेनहेगेन में स्थित यूरोपियन कांग्रेस और क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी और इंफेक्शियश डिजीज (ECCMID) में जर्मनी के शोधकर्ताओं ने किया है.


बर्लिन के चैरीट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में डॉ. कैरोलीन हैकमैन और उनके सहयोगियों ने 2800 मरीजों एवं उनके पालतू जानवरों पर शोध के दौरान पाया कि पालतू पशुओं और उनके मालिकों के बीच एक साथ कई ऐसे जर्म्स का आदान-प्रदान हो जाता है, जिससे दवाओं का असर प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि कुछ मामले ऐसे मिले हैं, जिनमें मरीजों के लिए उनके पालतू जानवरों से किसी तरह का खतरा नहीं हैं.


सुपरबग की पहचान की
शोधकर्ताओं ने अस्पताल के मरीजों में पाए जाने वाले कुछ सुपरबग की पहचान की है. चैरीट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में जून 2019 से लेकर सितंबर 2022 के बीच भर्ती हुए 2891 मरीजों के नाक और मल के नमूने लिए गए, जो अपने घर में पालतू जानवर से संक्रमित हुए थे. इनमें से 1184 मरीज पहले से संक्रमित या भर्ती कराने के बाद संक्रमित हुए थे. हर नमूने में दवा प्रतिरोधी जीन की मौजूदगी और जर्म्स की प्रजाति की पहचान करने के लिए उनका जेनेटिक अनुक्रमण किया गया.


MDRO की बढ़ रही भूमिका
दुनिया में मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट ऑर्गेनिज्म (MDRO) के प्रसार में पालतू पशुओं की भूमिका तेजी से बढ़ रही है. जब इंफेक्शन फैलाने वाले सूक्ष्म जीव उन्हें मारने के लिए प्रयोग में लाई गई दवा से भी नहीं मरते हैं तो रोगाणुरोधी प्रतिरोध की स्थिति उत्पन्न होती है. एक आकलन के अनुसार, हर साल रोगाणुरोधी प्रतिरोध से 13 लाख मौतें होती है, जबकि 2019 में इससे करीब 50 लाख मौतें हुई थी.