`ब्रेन डेड` के बारे में सुना तो बहुत होगा, लेकिन ऐसा किसके लिए यूज करते हैं? जयपुर के केस से समझिए
किसी इंसान के जरिए मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के लिए उसका `बेन डेड` होना जरूरी है, लेकिन मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को कब डिक्लेयर किया जाता है, ये समझना जरूरी है.
What Is Brain Dead: राजस्थान में 15 दिसंबर को एक 'ब्रेन डेड' शख्स के 8 अंगों का दूसरे लोगों में सक्सेसफुल ट्रांस्पलांटेशन किया गया. अधिकारियों ने ये जानकारी दी, उन्होंने बताया कि बीते रविवार को राज्य में पहली बार एयर एम्बुलेंस से ऑर्गंस को जयपुर से सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचाकर सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया. लेकिन क्या आपने सोचा है कि 'ब्रेन डेड' कहते किसको हैं, आइए समझने की कोशिश करते हैं.
राजस्थान में ये पहला मौका था जब 'ब्रेन डेड' एक ही इंसान के अधिकतम 8 अंगों को ट्रांसप्लांट किया गया. साथ ही, इस लिहाज से भी पहला अवसर रहा जब एक ही शख्स के फेफड़े और दिल का प्रत्यारोपण एक ही मरीज को किया गया.प्रदेश में पहली बार लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया.
'ब्रेन डेड' किसे कहते हैं?
मेडिकल की भाषा में 'ब्रेन डेड' (Brain Dead) एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की सभी गतिविधियां पूरी तरह से और स्थायी रूप से बंद हो जाती हैं. इसका मतलब है कि उस इंसान का ब्रेन अब सांस लेने, दिल की धड़कनों को कंट्रोल करने, या किसी भी बॉडी एक्टिविटीज के लिए संकेत देने में सक्षम नहीं होता. इसे मेडिकल लैंग्वेज में मौत के बराबर माना जाता है, भले ही शरीर को वेंटिलेटर और दूसरे टूल्स की मदद से जिंदा रखा जाए.
ऐसा कंडीशन कैसे आता है?
ब्रेन डेड आमतौर पर सिर की गंभीर चोट, ब्रेन में ब्लीडिंग, या ऑक्सीजन की कमी के कारण हो सकता है. इसका डायग्नोसिस करने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते हैं, जैसे कि रिस्पॉन्स की जांच, सांस लेने की क्षमता, और ब्रेन में ब्लड फ्लो को एनालाइज करना.
ऑर्गन डोनेशन के लिए जरूरी
ब्रेन डेड को शारीरिक कोमा (Coma) या वेजिटेटिव स्टेट (Vegetative State) से अलग माना जाता है, क्योंकि इन कंडीशंस में ब्रेन की कुछ एक्टिविटीज बची रहती हैं. ब्रेन डेड वाला कंडीशन ऑर्गन डोनेशन (Organ Donation) के लिए अहम है. ब्रेन डेड डिक्लेयर किए गए इंसान के अंग, जैसे दिल, किडनी, या लिवर, जरूरतमंद मरीजों को दिए जा सकते हैं, क्योंकि उनके शरीर के अन्य अंग अभी भी काम कर सकते हैं. इस प्रोसेस में परिवार की इजाजत ली जाती है.
विष्णु प्रसाद के अंगों का किया गया दान
राजस्थान के मामले में चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीष कुमार ने बताया कि 33 साल विष्णु प्रसाद को गम्भीर रूप से घायल हो जाने पर 11 दिसंबर को झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था. डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद विष्णु को बचा पाना मुमकिन नहीं हो पाया, बाद में विष्णु को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया गया.
विष्णुदास के 'ब्रेन डेड' घोषित हो जाने के बाद उनके परिवार के सोग को अंगदान के लिए प्रेरित किया गया. फैमिली विष्णु के अंगों (दोनों किडनी, लिवर, हार्ट, लंग्स और दोनों कॉर्निया) को दान करने के लिए राजी हो गए.
हेलीकॉप्टर की मदद से भेजे गए अंग
जयपुर स्थित सवाई मानसिंह हॉस्पिटल को एक गुर्दे , दिल व फेफड़े का आवंटन किया गया. पहली बार हेलीकॉटर की मदद से अंगों को झालावाड़ से एसएमएस अस्पताल जयपुर में प्रत्यारोपण के लिए लाया गया. इसी तरह एक किडनी और लिवर का ट्रांसप्लांट एम्स जोधपुर में किया गया और इस अस्पताल में भी अंगों को झालावाड़ से हवाई जहाज के जरिए ले जाया गया.
अंगदान के लिए अभियान
अधिकारियों के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीष कुमार और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान सहित दूसरे ऑफिसर्स ने ऑर्गन डोनेशन के इस प्रॉसेस में खास रोल निभाया जिससे ये अंगदान एवं प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सका. कुमार ने बताया कि विभाग अंगदान के लिए विभिन्न एनजीओ के माध्यम से विशेष अभियान चलाकर लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करेगा.
(इनपुट-भाषा)
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