फिट रहने के लिए सभी को एक्सरसाइज करना चाहिए, लेकिन सवाल उठता है कि कब करें? सुबह, दोपहर या शाम? सच तो यह है कि एकदम सही समय ढूंढना उतना आसान नहीं है. हर व्यक्ति की अपनी प्रायोरिटी, लाइफस्टाइल और गोल होते हैं, इसलिए बेस्ट टाइम ढूंढने के लिए आपको खुद को समझना होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अपना सबसे अच्छा वर्कआउट टाइम खोजने के लिए खुद को सुनें. अपने शरीर की सुनें, लाइफस्टाइल को ध्यान में रखें और ऐसी कसरत प्लान करें जिसे आप एंजॉय करें और नियमित रूप से कर सकें. याद रखें, फिट रहने के लिए सबसे अच्छा समय वही है, जो आपको सबसे ज्यादा सूट करता हो.


सुबह का पावर पैक
सुबह वर्कआउट करने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे दिनभर कैलोरी बर्न होती रहती है. एंडॉर्फिन रिलीज होता है, मन खुशहाल रहता है और फोकस बढ़ता है. सुबह का वर्कआउट रूटीन सेट करने में भी मदद करती है, जिससे आपका वर्कआउट छूटने की संभावना कम होती है. लेकिन सुबह के नुकसान भी हैं. मांसपेशियों को गर्म होने में ज्यादा समय लगता है, जिससे चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है. व्यस्त सुबह में समय निकालना भी मुश्किल होता है.


दोपहर की चुस्ती
शरीर का तापमान और मांसपेशियों का कामकाज दोपहर में सबसे बेहतर होता है. इससे परफॉर्मेंस बढ़ सकती है और चोट लगने का खतरा कम होता है. दोपहर का वर्कआउट सामाजिक भी हो सकता है, दोस्तों के साथ या ग्रुप क्लासेज में. लेकिन जिम में भीड़भाड़ की संभावना भी होती है, जिससे इक्विपमेंट मिलने में दिक्कत हो सकती है. दिन भर का तनाव शाम को वर्कआउट के लिए कम प्रेरित कर सकता है.


शाम की शांति
शाम का वर्कआउट तनाव कम करने में मददगार होता है. शरीर का तापमान और मांसपेशियों का कामकाज शाम में भी अच्छा होता है, जिससे बेहतर परफॉर्मेंस मिल सकती है. हालांकि, जोरदार वर्कआउट के कारण नींद प्रभावित हो सकती है. शाम के अन्य कमिटमेंट या थकान के कारण नियमित वर्कआउट मुश्किल हो सकता है.


अपनी बॉडी क्लॉक सुनें
हर किसी की क्रोनोटाइप अलग होती है, जो सोने-उठने की नेचुरल लय तय करती है. कुछ लोग सुबह के पावरहाउस होते हैं (मॉर्निंग क्रोनोटाइप), जबकि कुछ रात के उल्लू (इवनिंग क्रोनोटाइप) होते हैं. अपने क्रोनोटाइप के हिसाब से वर्कआउट करने से परफॉर्मेंस और रेगुलर दोनों बढ़ सकती है.