पाचन से जुड़ी समस्याएं अक्सर छोटी असुविधा लगती हैं, लेकिन यह गंभीर स्वास्थ्य खतरों का संकेत हो सकती हैं, जिनमें हार्ट अटैक का खतरा भी शामिल है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाचन तंत्र और दिल के बीच गहरा संबंध है. विशेष रूप से, क्रोनिक कब्ज जैसी समस्याएं दिल को तनाव पहुंचा सकती हैं और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को प्रभावित कर सकती हैं.


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गट माइक्रोबायोम शरीर में सूजन को कंट्रोल करता है, जो कई दिल के मरीजों का मुख्य कारण हो सकता है. कब्ज जैसी समस्याएं इस संतुलन को बिगाड़ सकती हैं और पूरे शरीर में सूजन बढ़ा सकती हैं. इसके अलावा, कब्ज के दौरान बार-बार जोर लगाने से ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है. 'द जर्नल ऑफ क्लिनिकल हाइपरटेंशन' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह स्थिति गंभीर कार्डियोवैस्कुलर घटनाओं जैसे हार्ट फेलियर और स्ट्रोक का कारण बन सकती है.


कब्ज कैसे दिल को प्रभावित करता है?
वल्साल्वा मैनूवर का प्रभाव: कब्ज के दौरान जोर लगाने से छाती और पेट में दबाव बढ़ता है, जिससे ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ सकता है और दिल पर तनाव पड़ता है.
गट फ्लोरा में असंतुलन: लंबे समय तक कब्ज रहने से गट फ्लोरा बिगड़ सकता है, जिससे नसों में फैट जमा हो सकता है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है.
सूजन का प्रभाव: क्रोनिक कब्ज शरीर में गंदगी के संपर्क को बढ़ाता है, जिससे सूजन बढ़ती है और दिल के मरीजों का खतरा बढ़ जाता है.


कैसे करें दिल और पाचन की सुरक्षा?
* फल, सब्जियां और साबुत अनाज कब्ज से बचाते हैं और सूजन को कम करते हैं.
* पानी की कमी से कब्ज बढ़ सकता है.
* व्यायाम न केवल पाचन बल्कि दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद है.
* ज्यादा नमक और कम फाइबर वाला भोजन पाचन और दिल दोनों को प्रभावित करता है.


समय रहते पाचन समस्याओं का समाधान करना दिल को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है. अपनी डाइट और लाइफस्टाइल पर ध्यान देकर इन दोनों समस्याओं से बचा जा सकता है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.