Congress in Gujarat Assembly Election Result 2022: गुजरात विधानसभा चुनावों कांग्रेस को करारी हार मिली है. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड सीटों के साथ जीत दर्ज की है. बीजेपी को 156 सीटों पर जीत मिली है, जो कि राज्य के गठन के बाद किसी भी पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीटें हैं. वहीं, कांग्रेस के खाते में सिर्फ 17 सीटें ही आई हैं. इसके अलावा राज्य में आम आदमी पार्टी को 5 सीटों पर, निर्दलीय उम्मीदवारों को 3 सीटों पर और समाज वादी पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई है.


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गुजरात में पिछले 27 सालों से बीजेपी लगातार जीतती रही है और इस बार पार्टी को सबसे बेहतर रिजल्ट मिले हैं. पहली बार गुजराज विधानसभा चुनावों में किस्मत आजमाने वाली अरविंद केजरीवाल को भी 5 सीटों पर जीत मिली है. लेकिन कांग्रेस 17 सीटों तक ही सिमटकर रह गई. आखिर वो कौन से 10 कारण हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस की इतनी बुरी हालत हुई है. आइए उन वजहों पर एक नजर डालते हैं...


1. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात चुनाव को गंभीरता से नहीं लड़ा. कोई भी बड़ा नेता प्रमुखता के साथ अपने उम्मीदवारों के साथ नजर नहीं आया.
2. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार से नदारद रहे. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे. वहीं, प्रियंका गांधी का पूरा फोकस हिमाचल में रहा.
3. कांग्रेस को जब गुजरात चुनाव पर ध्यान देना था, तब कांग्रेस राजस्थान की लड़ाई सुलझाने में जुटी हुई थी. इस वजह से अशोक गहलोत गुजरात पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाए.
4. कांग्रेस के मुस्लिम वोट में जबरदस्त बंटवारा हो गया. मुस्लिम वोट कांग्रेस, AAP और कुछ सीटों पर एआईएमआईएम में बंट गया. मुस्लिमों को लगा कि शायद इस बार AAP गुजरात में बीजेपी को टक्कर दे सके.
5. बीजेपी से नाराज तबके के लोग भी कांग्रेस और AAP के पक्ष में बंट गए. इसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचा.
6. कांग्रेस के पारंपरिक मतदाता वोट डालने के लिए बड़ी संख्या में बाहर नहीं निकले. इसलिए वोटिंग का परसेंटेज भी कम रहा. कम मतदान प्रतिशत का बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला.
7. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करना भी लोगों को पसंद नहीं आया. इस वजह से भी कुछ वोट कांग्रेस से इधर ऊधर शिफ्ट हो गए.
8. अहमद पटेल के बाद गुजरात में कांग्रेस के पास एक अदद रणनीतिकार की कमी देखने को मिली. कोई भी नेता ऐसा नहीं था जो गुजरात की जमीनी राजनीति को अहमद पटेल की तरह समझता हो.
9. गुजरात में कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं बचा है. कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसके नाम पर कांग्रेस वोट मांग सके.
10. कांग्रेस की पुरानी पेंशन और अन्य मुद्दे जमीन तक नहीं पहुंच पाए. गैर जरूरी बयानों के चलते ये अहम मुद्दे दबते चले गए.


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