नई दिल्ली: सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि यमुना नदी की सफाई एवं संरक्षण पर पिछले 25 वर्षों के दौरान 1514 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं. लोकसभा में पीके कुनहालिकुट्टी के प्रश्न के लिखित उत्तर में जल संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने यह जानकारी दी.


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उन्होंने कहा,‘यमुना की सफाई भी नमामि गंगे मिशन का एक भाग है और भारत सरकार ‘यमुना कार्य योजना’ (वाईएपी) के तहत वर्ष 1993 से चरणबद्ध ढंग से हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों को वित्तीय सहायता देकर गंगा की सहायक नदी यमुना में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को रोकेन के लिए राज्य के प्रयासों को सहायता दी जा रही है.’ मंत्री ने कहा कि वाईएपी क चरण-1 एवं चरण-2 के तहत कुल 1514.70 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.


प्रतिदिन 46% कचरे का ही होता है प्रसंस्करण
सरकार ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि देश में प्रतिदिन लगभग 1.45 लाख टन कचरे का उत्पादन होता है और इसका औसतन 46 प्रतिशत ही रोजाना प्रसंस्कृत किया जाता है. केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह ने शिवकुमार उदासी के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.


उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा ऊर्जा को नगरीय, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों से बायोगैस/बायो सीएनजी/ विद्युत के रूप में प्राप्त करने के लिए ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाता रहा है.


सिंह के अनुसार इस कार्यक्रम के अंतर्गत निजी क्षेत्र में शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों पर आधारित 184 ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ संयंत्र 315.24 मेगावाट समतुल्य समग्र क्षमता के साथ स्थापित किये गये हैं.


(इनपुट - भाषा)