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Naxalites rehabilitation: भारत में हार्डकोर नक्सलियों के सफाए से लेकर नक्सलियों के नए कैडर की मुख्य धारा में वापसी के लिए सरकार जोर शोर से काम कर रही है. देश की कई राज्य सरकारें इस दिशा में काम कर रही हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ से एक अच्छी खबर आई है. यहां राज्य की सरकार ने देश में पहली बार ऐसी कोशिश की है कि जिसके तहत नक्सली बिना सामने आए ये बता सकेंगे कि देश की मुख्यधारा में वापस लौटने के लिए वो कैसा माहौल चाहते हैं.
नक्सलियों के पुनर्वास की नई मुहिम
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में नक्सलियों को सरेंडर कराने और उनके पुनर्वास की नीतियों को और बेहतर करने के लिए सरकार ने एक बार फिर प्रयास तेज किए हैं. इसके लिए गृह मंत्रालय ने तमाम ईमेल आईडी और गूगल फॉर्म जारी किए हैं. जिसमें नक्सली अपने मन की बात कहकर अपना मन बदलने के लिए जो कुछ जरूरी होगा उसे बता सकते हैं.
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार अपनी पॉलिसी को अपग्रेड कर रही है. इस विषय में कई फैसले लिए गए हैं. हम ये कोशिश कर रहे हैं कि नक्सली हर हाल में हिंसा का रास्ता छोड़कर अपनी-अपनी बात सीधे कहें. इसके लिए हमने कुछ क्यूआर कोड भी जारी किए हैं. हम जरूरत के हिसाब से नीतियों को फ्लेक्सिबिल कर सकते हैं, ताकि नक्सलवाद खत्म हो और जो लोग उस रास्ते पर चल चुके हैं, वो भी देश की मुख्य धारा में लौटकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करें,
बस्तर में बड़ी कामयाबी
'भास्कर' की रिपोर्ट के मुताबिक एक समय में नक्सलियों का गढ़ रहे बस्तर जिले में किसान जैविक खेती कर रहे हैं. वहां लोगों की आमदनी बढ़ी है. पहले की तुलना में भय का माहौल कम हुआ है. सरकार और प्रशासनित कामयाबी की बात करें तो बीते 3 साल में बस्तर जिले में 1000 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि प्रदेश का हर नक्सल प्रभावित जिला जल्द से जल्द उस दंश से मुक्त हो.