नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन बनाने के सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ आज (2 जनवरी को) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े देशभर के करीब 3 लाख डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस बंद के कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों के इंतजार में सुबह से ही मरीज अस्पतालों के बाहर खड़े हैं. दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने सोमवार को ऐलान किया था कि 2 जनवरी को देशभर के लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर सेवाएं नहीं देंगे. आईएमए की ओर से 12 घंटे तक रोजमर्रा की चिकित्सा सेवाएं बंद रखने के आह्वान के मद्देनजर आज सुबह 6 बजे से शाम को 6 बजे तक स्वास्थ्य सेवाएं बंद रखने का फैसला लिया गया. 


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इस बीच किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए "जरूरी" कदम उठाने को कहा है. भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को नई संस्था से बदलने के लिए लाए जाने वाले विधेयक के विरोध में आईएमए ने 2 जनवरी को रोजमर्रा की चिकित्सा सेवाएं बंद रखने का आह्वान किया था. 2.77 लाख डॉक्टर आईएमए के सदस्य हैं.


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मरीज परेशान
डॉक्टरों के हड़ताल के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आंख चेक कराने गए एक मरीज ने बताया अस्पताल तो खुले हैं लेकिन डॉक्टर ही नहीं हैं. अस्पतालों के बाहर मरीजों की लंबी कतारें लगी हुई हैं. 
उन्हें शाम को या कल आने का आश्वासन देकर घर भेज दिया जा रहा है.  



देश भर के अलग-अलग सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर धरने पर बैठे हैं. दिल्ली में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ डॉक्टरों का हड़ताल. 



केरल के तिरुवनंतपुरम में डॉक्टर राजभवन के बाहर धरने पर बैठे हैं. 



कर्नाटक के हुबली में विवेकानंद जनरल हॉस्पिटल में सुबह 6 बजे से शाम को 6 बजे तक OPD सर्विसेज बंद रखने का एलान किया गया है. 



हड़ताल की वजह
फिलहाल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया देशभर के मेडिकल प्रोफेशनल्स की प्रतिनिधि संस्था है. देश का कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है और अपना लीडर चुनने के लिए वोट कर सकता है. नेशनल मेडिकल कमीशन बनने के बाद इसमें गवर्मेंट द्वारा चुने गए चेयरमैन और सदस्य रखे जाएंगे. इसके अलावा बोर्ड मेंबर्स को कैबिनेट सेक्रेटरी के अंडर में काम करने वाली सर्च कमेटी चुनेगी. 


इंडियन मेडिकल काउंसिल को नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017 के प्रावधानों से एतराज है. नए बिल के मुताबिक अब तक प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी. अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 60% सीटों का फीस तय करने का अधिकार होगा. इसमें पहले 130 सदस्य होते थे और हर राज्य का तीन प्रतिनिधि होता था. अब नए बिल के मुताबिक कुल 25 सदस्य होंगे, जिसमें 36 राज्यों में से केवल 5 प्रतानिधि ही होंगे.