Aditya L1 ISRO Solar Mission Complete details: भारत तीसरी दुनिया नहीं बल्कि विकसित राष्ट्र बनने की ओर तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है. चंद्रमा पर अपने सफल मिशन के बाद भारत आज अपना सूर्य मिशन लॉन्च करने जा रहा है. इस लॉन्चिंग के साथ ही दुनिया एक बार फिर भारत की क्षमताओं को देखेगी. 


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आज सुबह लॉन्च होगा 'मिशन सूर्य'


केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश का पहला 'मिशन सूर्य' आज सुबह 11.30 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लॉन्चिंग के 125 दिन बाद वह मिशन अपने टारगेट पॉइंट पर पहुंच जाएगा. उन्होंने बताया कि यह मिशन लैग्रेंज प्वाइंट तक जाएगा. इस दौरान वह लगातार 4 महीने तक उड़कर करीब 15 लाख किमी की दूरी तय करेगा. यह दूरी चंद्रमा से करीब 5 गुना ज्यादा है. 


इसरो के सामने बड़ी चुनौती


आज देश का पहला 'मिशन सूर्य' लॉन्च होने के बाद इसरो की सबसे बड़ी चुनौती उसे सुरक्षित तरीके से लैग्रेंज प्वाइंट तक पहुंचाना होगी. इसके साथ ही मिशन के दौरान लगातार आदित्य L1 से संपर्क बनाए रखना और उसे सही कक्षा में स्थापित करना भी बड़ा चैलेंज होगा. 


क्या करेगा आदित्य L1?


आदित्य L1 सूर्य पर नहीं जा रहा बल्कि यह धरती से 15 लाख किमी दूर सूरज के रास्ते में L1 प्वाइंट तक जाएगा. वहां से सूर्य पर 24 घंटे नजर रखना मुमकिन होता है. सूर्य मिशन वहां से सूर्य की किरणों पर अध्ययन करेगा. उसमें रिसर्च के लिए 7 पेलोड लगे हैं. 


इस तरह रवाना होगा मिशन


आदित्य L1 की उड़ान आज रोमांच रहने वाली है. सबसे पहले स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की निचली कक्षा में उड़ेगा और ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का इस्तेमाल शुरू करेगा. पृथ्वी की ग्रेविटी से बाहर निकलने पर स्पेसक्राफ्ट अपने क्रूज फेज में प्रवेश कर जाएगा. उसमें लगे 7 पेलोड में 3 पेलोड लैग्रेंज1 की स्टडी करेंगे, जबकि 4 पेलोड दूर से आंकड़े इकट्ठा करेंगे. 


आदित्य-L1 मिशन का उद्देश्य 


भारत का यह महत्वाकांक्षी मिशन सौर आंधियों, चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा. इसके साथ ही सूर्य की बाहरी परत की विस्तार से स्टडी की जाएगी. सौरमंडल के ऊपरी वातावरण की भी स्टडी की जाएगी. स्पेस में मौसम कैसा रहता है, इसका भी पता लगाया जाएगा. साथ ही फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की जानकारी भी इकट्ठा की जाएगी. 


सूर्य की ग्रेविटी दिखाएगी असर? 


वैज्ञानिकों के अनुसार जहां धरती की ग्रेविटी खत्म होगी, वहीं से सूर्य की ग्रेविटी का असर शुरू हो जाएगा. दोनों की ग्रेविटी के बीच वाली जगह पर ही L1 प्वाइंट है.  पृथ्वी-सूर्य के बीच 5 लैग्रेंज प्वाइंट चिह्नित हैं. इन्हीं में से L1 पॉइंट पर भारत के सूर्य मिशन की तैनाती की जाएगी. इस पॉइंट का यह नामकरण इटली के गणितज्ञ जोसफ-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है. 


सूर्य मिशन के मिलेंगे ये फायदे


जानकारों के मुताबिक भारत के इस सूर्य मिशन से कई फायदे होने जा रहे हैं. इससे सेटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट को अनजान खतरों से बचाने में मदद मिलेगी. सौर खतरा आने पर पहले से वॉर्निंग दी जा सकेगी. गैलेक्सी के तारों की जानकारी हासिल हो सकेगी. ताकतवर सौर ऊर्जा का असर पता चल सकेगा. थर्मल, मैग्नेटिक क्रिया का परीक्षण किया जा सकेगा. यही नहीं इससे धरती की ओर आने वाले तूफानों पर भी नजर रखी जा सकेगी.