नई दिल्ली: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन के बाद से वहां सत्तारुढ़ एआईएडीएमके के नेतृत्व को लेकर भले ही उपरी तौर पर शांति दिख रही हो लेकिन अंदर ही अंदर वहां काफी उथलपुथल है। चेन्नई के पोस गार्डन स्थित उनका आवास अब भी राज्य प्रशासन के अलावा एआईएडीमके और सत्ता का केंद्र बना हुआ है। गुरुवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम समेत कुछ और मंत्री सुबह 11 बजे जयललिता की करीबी दोस्त शशिकला से मुलाकात करने के लिए अम्मा के आवास 'वेद निलयम' पहुंचे।


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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये मुलाकात दो घंटे चली। बाद में सीएम ने मीडिया से कोई बात नहीं की और चुपचाप निकल गए। बताया जा रहा है कि पन्नीरसेल्वम के साथ उनकी कैबिनेट के सीनियर मिनिस्टर सी. श्रीनिवासन और ई. पलानीस्वामी के अलावा पी. थंगमणि भी थे। बातचीत का ब्योरा नहीं मिल सका।


दिवंगत जयललिता ही पार्टी के प्रमुख नेता थीं। पन्नीरसेल्वम को सीएम तो बना दिया गया है लेकिन पार्टी कौन लीड करेगा, इस पर अभी सस्पेंस है।वहीं तमिलनाडु की सियासत के जानकार मानते हैं शायद जया के बाद  एआईएडीएमके की नई चीफ शशिकला ही होंगी। बता दें कि शशिकला ने ही जया के अंतिम संस्कार की परंपराएं निभाईं थीं।


मंत्रियों की इस यात्रा को पार्टी और सरकार में शशिकला के प्रभुत्व के रूप में देखा जा रहा है। इस मुलाकात के बाद पार्टी पर शशिकला के नियंत्रण की चर्चा है।


जयललिता पार्टी की महासचिव थीं और उनके निधन के बाद से यह पद खाली है। पार्टी काउंसिल आने वाले समय में सर्वसम्मति से महासचिव का चुनाव कर सकती है। हालांकि, राज्य के मंत्री और सीएम इस मुलाकात के बाद अपने चैंबर में वापस नहीं लौटे। माना जा रहा है कि शुक्रवार तक सभी मंत्री काम पर लौट जाएंगे।


महत्वपूर्ण बात यह है कि 2012 में शशिकला से विवाद के बाद जयललिता ने पार्टी के जिस वरिष्ठ नेता के. ए. सेनगोट्टियां को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया था, वह भी गुरुवार को शशिकला से मुलाकात करने पोस गार्डन पहुंचे। सेनगोट्टियां को शशिकला का करीबी माना जाता है।


इसके अलावा पार्टी मुख्यालय के आसपास जयललिता के पोस्टरों में शशिकला की फोटो भी नजर आईं। सूत्रों के मुताबिक, शशिकला पार्टी पर कंट्रोल चाहेंगी। 


जया के रहते सरकार और पार्टी में उनके अलावा अगर किसी की धमक थी, तो वह शशिकला ही थीं। पार्टी के अंदर शशिकला के वफादारों की बड़ी तादाद है। 
कहा ये भी जा रहा है कि एआईएडीएमके में दबदबे को लेकर पन्नीरसेल्वम के साथ उनके मतभेद भी पैदा हो सकते हैं और 29 साल बाद अब पार्टी के टूटने का डर है।