Agni 5 Missile News in Hindi: भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण कर दुनिया को एक बार फिर अपनी ताकत और तकनीक का एहसास करा दिया है. परमाणु बम दागने की क्षमता रखने वाली अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता 5 हज़ार 400 किलोमीटर है. जिसका मतलब इसकी ज़द में आधी दुनिया आ गई. यही वजह है कि अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने DRDO के वैज्ञानिकों बधाई दी, पीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि MIRV तकनीक वाली अग्नि-5 मिसाइल के पहले परीक्षण, मिशन दिव्यास्त्र के लिए DRDO के वैज्ञानिकों पर गर्व है.


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क्या आप डॉ टेनी थॉमस को जानते हैं?


बड़ी और ख़ास बात ये है कि भारत की रक्षा शक्ति को बढ़ाने वाले इस प्रोजेक्ट में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है, इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर भी एक महिला हैं जिनका नाम डॉक्टर टेसी थॉमस है. डॉक्टर टेसी थॉमस ने 1985 में कालीकट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में B.Tech किया है. इसके बाद पुणे के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नॉलिजी से..DRDO स्पॉन्सर्ड गाइडेड मिसाइल में M.Tech किया. 1988 में वो DRDO यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलवमेंट ऑर्गनाइजेशन से जुड़ीं.


अग्नि-4 और अग्नि-5 प्रोजेक्ट की डायरेक्टर


टेसी थॉमस ने शुरू से ही अग्नि मिसाइल के डिजाइन और विकास पर काम किया है. बताया जाता है कि उन्हें अग्नि परियोजना के लिए डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नियुक्त किया था. डॉक्टर टेसी थॉमस अग्नि-4 और अग्नि-5 प्रोजेक्ट की डायरेक्टर हैं. डॉक्टर टेसी थॉमस ने देश की सुरक्षा में योगदान के लिए मिसाइलों की तकनीक विकसित करने में मदद की है. डा. टेसी बैलिस्टिक मिसाइल के बड़े विशेषज्ञों में से एक मानी जाती हैं. 


अपनी मेहनत से बनीं ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’


DRDO में मिसाइल गाइडेंस, सिमुलेशन और मिशन डिजाइन में उनका अहम योगदान है. इसलिए उन्हें ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है. मिसाइल, रॉकेट, बम-बारूद ये वो शब्द हैं जिन्हें पुरुषों के साथ जोड़ा जाता है..लेकिन टेसी थॉमस ने अपनी मेहनत, लगन और जुझारूपन से ये साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी फील्ड में कामयाबी के झंडे गाड़ सकती हैं. 


देश को अग्नि जैसी एडवांस और घातक मिसाइल देने वाली टेसी थॉमस उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो उन क्षेत्रों में काम करना चाहती हैं जहां पुरुषों का दबदबा माना जाता है. 


चीन समेत आधी दुनिया अग्नि के रेडार पर


भारत ने न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की पहली सफल टेस्टिंग की है. 5000 किलोमीटर रेंज वाली इस मिसाइल की सफल टेस्टिंग के बाद पाकिस्तान ही नहीं पूरा चीन भी भारत की जद में आ गया है. अग्नि-5 की रेंज में करीब-करीब पूरा एशिया, चीन का आख़िरी उत्तरी क्षेत्र और यूरोप के भी कुछ हिस्से आ गए हैं. अग्नि मिसाइलें भारत के पास साल 1990 से हैं. वक़्त के साथ इसके नए और एडवांस्ड रूप सामने आते रहे हैं.


एक साथ कई लक्ष्यों को बना सकती है निशाना


अग्नि-5 का साल 2012 के बाद कई बार सफल परीक्षण किया गया है. अग्नि-1 की रेंज 700 किलोमीटर से शुरू होती है और अग्नि-5 की रेंज पांच हज़ार किलोमीटर तक पहुंचती है. अग्नि-5 MIRV तकनीक यानी multiple independently targetable re-entry vehicle तकनीक से लैस है. इस तकनीक के जरिए एक मिसाइल से सैकड़ों किलोमीटर दूर कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.


यह खतरनाक तकनीक पाने वाला छठा देश


MIRV तकनीक से लैस मिसाइलें रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के पास हैं.अब भारत भी इसमें शामिल हो गया है. इन मिसाइलों को ज़मीन या समंदर में पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है. अग्नि-5 में डेढ़ टन परमाणु हथियार भी ले जाए जा सकते हैं. अग्नि-5 मिसाइल की रफ्तार 30 हज़ार किलोमीटर/घंटा से भी ज़्यादा हैयानि आवाज़ की रफ्तार से 24 गुना ज्यादा रफ्तार. अगर यह एक बार लॉन्च हो जाए तो इसे रोक पाना लगभग नामुमकिन है. 


प्रचंड वेग से दुश्मन पर पड़ती है टूट 


यह मिसाइल लॉन्च होने के बाद सीधे अंतरिक्ष में जाती है और फिर वहां से दोबारा पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर प्रचंड वेग के साथ दुश्मन पर पर टूट पड़ती है. इस मिसाइल में एक से ज्यादा वॉर हेड भी लगाए जा सकते हैं. इसका मतलब ये है कि यह मिसाइल एक साथ दुश्मन के कई शहरों को तबाह कर सकती है. इस तकनीक को पाने के बाद भारत अब मिसाइलों के क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति में आ गई है और अगर भविष्य में चीन ने कोई हिमाकत की तो उसे बड़ी बर्बादी के लिए तैयार रहना होगा.