अहमदाबाद/ केतन जोशी: शहर हो या गांव, बच्चे हो या बूढ़े लेकिन समाज के हर तबके में व्यसन की बीमारी इतनी ज्यादा फैल गई है कि दुनिया में सब से युवा देश होने के बावजूद भी भारत का युवा तो व्यसन की चुंगल में आ गया है लेकिन बच्चे और बूढ़े भी इससे अछूते नहीं रह पाए. जिसके बाद अहमदाबाद की एक कंपनी ने एक निर्णय लिया कि अगर कोई कंपनी में नौकरी करना चाहे तो उसमें गुटका, खैनी सिगरेट सहित कोई व्यसन नहीं होना चाहिए. "यदि आप नौकरी में शामिल होना चाहते हैं, तो इसे छोड़ दें".


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यह अहमदाबाद में आई और शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी हेस्टर बायोसाइंस है. कंपनी जानवरों के लिए टीके बनाती है और देश - दुनिया में निर्यात करती है. यदि आप अहमदाबाद से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस कंपनी में नौकरी चाहते हैं, तो कंपनी की पहली शर्त यह है कि आप कोई व्यसन नहीं खाते हों और यदि आप व्यसन करते है और काबिल भी हैं तो नौकरी में नहीं रह पाएंगे. 


कंपनी की इस पॉलिसी के बारे में बात करते हुए कंपनी के एमडी और सीईओ राजीव गांधी ने कहा, हमने अपनी कंपनी में एक नियम बनाया है कि अगर किसी से पंगा लिया जाता है, तो वे उन्हें नौकरी पर नहीं रखते हैं. हमारी कंपनी तम्बाकू मुक्त कंपनी है."


इस कंपनी के संयंत्र में 400 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, और यदि एक प्रधान कार्यालय कर्मचारी को जोड़ा जाए, तो 500 कर्मचारी होंगे, लेकिन एक भी कर्मचारी मावा, खैनी, गुटका का व्यसन नहीं करता. कंपनी के इस फैसले पर पूरा गुजरात गर्व कर सकता है. ऐसा नहीं है कि सभी कर्मचारी जो एक ही कंपनी में शामिल होने से पहले नहीं खाते थे. हालांकि कंपनी में आने के बाद उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा.


हेस्टर बायोसाइंस के कर्मचारी भारत रावल ने कहा, खैनी न खाने से मेरा पैसा बच जाता है और बच्चों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है. वहीं प्रताप ने बताया कि, ये सब छोड़ने से मेरे स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. इन व्यसन मुक्त कर्मचारी के मुंह से आपने सुना कि व्यसन न करने से उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और मुनाफे में पैसा बचा. अगर पुरे देश इस मुहीम में लगे तो फिर देश को स्वस्थ होने से कोई नहीं रोक सकता.