CJI D Y Chandrachud News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में घंटों का काम मिनटों में हो रहा है. शिक्षा से लेकर कंप्यूटर तक ज्यादातर फिल्ड्स में AI तेजी से पैर पसार रहा है लेकिन जिस तरीके से AI का इस्तेमाल गलत इरादों के लिए किया जा रहा है. यह टेंशन पैदा करने वाला है. 


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अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. शनिवार को 36वें ‘द लॉ एसोसिएशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक’ सम्मेलन में चीफ जस्टिस का संबोधन चल रहा था. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे सामने टेक्नोलॉजी के नैतिक इस्तेमाल को लेकर मौलिक प्रश्न हैं!


आपको बता दें कि ‘द लॉ एसोसिएशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक’ वकीलों, जजों और कानूनी संगठनों का एक क्षेत्रीय संगठन है. यह एशिया प्रशांत क्षेत्र लीगल डेवलपमेंट के हितों में काम करता है और पैदा होने वाली मुश्किलों पर बात करता है. सम्मेलन में चीफ जस्टिस ने डिजिटल तौर पर हिस्सा लिया. 


इस सम्मेलन में 'पहचान, व्यक्ति और सरकार - स्वतंत्रता के नए रास्ते' विषय पर चर्चा हो रही थी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार और स्वतंत्रता के बीच संबंध को विस्तार से समझाया गया है लेकिन पहचान और स्वतंत्रता के बीच क्या रिश्ता है, इसे ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है.


डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आजादी स्वयं के लिए फैसले लेने की ताकत देती है, साथ ही यह जिंदगी की दिशा भी बदलती है. हालांकि, आजादी को कई बार इस तरह से भी समझा जाता है कि सरकार आम आदमी को मिले अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करती है लेकिन कई एक्सपर्ट्स की मानना है कि समाज के पूर्वाग्रहों जस का तस बनाए रखने में भी सरकार का बड़ा रोल है. 


चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार हस्तक्षेप न करे फिर भी वह  कहीं न कहीं ऐसा जरूर करती है जिससे हाशिए पर रहने वाले लोगों पर मजबूत समुदायों का प्रभुत्व हो जाता है. उदारवादी व्यवस्था में उन लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है जो जाति, नस्ल, धर्म या लिंग के कारण हाशिए पर हैं. AI पर अपनी बात कहते हुए चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कई चीजों का हम सामना कर रहे हैं.


(इनपुट: एजेंसी)