हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महायुति (शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी) सरकार के हौसले बुलंद हैं. अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. इसलिए दनादन फैसले लिए जा रहे हैं. गुरुवार को इसी संदर्भ में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में एक ऐसी ही कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई. चुनाव घोषित होने से पहले इस तरह की ये आखिरी बैठकें हैं लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू हुई उसके 10 मिनट के भीतर ही डिप्‍टी सीएम और एनसीपी नेता मीटिंग छोड़कर चले गए. जैसे ही मीटिंग शुरू हुई तो सबसे पहले रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई. उसके बाद 10 मिनट के भीतर ही अजित पवार मीटिंग से उठकर चले गए. 


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ऐसा तब हुआ जब उसके बाद भी मीटिंग करीब ढाई घंटे चली. उसमें वित्‍त विभाग के कई प्रोजेक्‍ट भी शामिल थे जिन पर फैसले हुए. जबकि वित्‍त विभाग का प्रभार अजित पवार के पास है. द टाइम्‍स ऑफ इंडिया (टीओआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार इस बात से नाराज थे कि अंतिम समय में अर्जेंट बेसिस पर मीटिंग में कई प्रस्‍तावों को रख लिया गया और इसका कोई सर्कुलर पहले से जारी नहीं किया गया था. वित्‍त विभाग ने कई मसलों पर आपत्तियां उठाई हैं जिनको कैबिनेट में पेश किया गया है.


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इस बारे में एक अधिकारी ने टीआईओ को बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब अजित पवार ऐसी बैठक को छोड़कर चले गए और पूरी मीटिंग के दौरान उनकी कुर्सी खाली रही. सीएम शिंदे की अध्‍यक्षता में बैठक हुई और पूरी बैठक में उनके साथ देवेंद्र फडणवीस मौजूद रहे. अजित पवार के जाने को इन वजहों से ही नाराजगी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.


वैसे भी हालिया दिनों में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की टकराहट देखने को मिली है. दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि कि जो लड़की बहिन स्‍कीम लॉन्‍च की गई उसका क्रेडिट दोनों ही पार्टियों के लोग लेना चाहते हैं. इसलिए शिवसेना के कार्यक्रमों में इस स्‍कीम के पोस्‍टरों से अजित पवार की फोटो गायब रहती है तो इसी प्रकार एनसीपी के कार्यक्रमों में लगे पोस्‍टरों में सीएम शिंदे की फोटो नहीं होती. 


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गौरतलब है कि चुनाव के मद्देनजर बजट में कई बड़ी घोषणाओं के कारण पहले से ही राज्‍य सरकार की आलोचना हो रही है. इस बार बजट में इस तरह के मदों के लिए 96 हजार करोड़ की घोषणा की गई थी. जिनमें से लड़की बहिन योजना प्रोग्राम के लिए 48 हजार करोड़ आवंटित किए गए थे. इस योजना पर हर साल इतनी राशि खर्च होने का अनुमान है. इसी तरह राज्‍य के सरकारी कर्मचारियों की अधिकतम ग्रैच्‍युटी 14 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई है. 


गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्‍य के एससी आयोग को वैधानिक दर्जा देने संबंधी अध्‍यादेश जारी किया गया. अगले विधानसभा सत्र में इसको पास करने के लिए प्रस्‍ताव पेश किया जाएगा. इसी तरह से केंद्र से अनुरोध किया गया कि ओबीसी कोटे में स्‍कॉलरशिप इत्‍यादि के लिए क्रीमी लेयर का कैप आठ लाख से बढ़ाकर 15 लाख किया जाए.


इसी तरह पिछड़ा वर्ग राष्‍ट्रीय आयोग ने महाराष्‍ट्र की सात जातियों/समुदाय को ओबीसी की सेंट्रल लिस्‍ट में शामिल करने की अनुशंसा दी है.