Maharashtra Politics: शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने बुधवार को दावा किया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अपनी प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) में दलबदल कराने की कोशिश कर रही है. राउत की यह टिप्पणी एनसीपी नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं. 


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राकांपा (एसपी) के विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने भी आरोप लगाया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के महाराष्ट्र प्रमुख सुनील तटकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुट के सांसदों से "बाप-बेटी को छोड़ने" के लिए कहा था. 


राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है. फिलहाल अजित के नेतृत्व वाली एनसीपी का केवल एक लोकसभा सदस्य (तटकरे) है, जबकि प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) के आठ लोकसभा सदस्य हैं. 


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राउत ने कहा, "पार्टी (एनसीपी) को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते." 


दूसरी ओर, जितेन्द्र अव्हाड ने एनसीपी के दोनों धड़ों के एक साथ आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा, "अगर दोनों एनसीपी को एक साथ आना है तो सुनील तटकरे ने हमारे लोकसभा सदस्यों को पाला बदलने का प्रस्ताव क्यों दिया? उनका प्रस्ताव था कि 'बाप-बेटी को छोड़ो और हमारे पास आओ'....मुझे लगता है कि तटकरे खुद नहीं चाहते कि दोनों एनसीपी फिर से एक हो जाएं." 


तटकरे की कथित "बाप-बेटी" टिप्पणी में उनका मतलब शरद पवार और उनकी बेटी व बारामती की सांसद सुप्रिया सुले से था. तटकरे से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने किसी भी पार्टी के लोकसभा सदस्यों को एनसीपी में शामिल कराने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, "मैंने राजनीति में हमेशा सम्मानजनक दृष्टिकोण बनाए रखा है और किसी भी राजनीतिक दल के लोकसभा सदस्यों को यह सुझाव नहीं दिया है कि वे हमारे पाले में आ जाएं. मैं सभ्य राजनीतिक संवाद को बनाए रखने में विश्वास करता हूं, यही वजह है कि मैं "बाप-बेटी" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचता हूं.” उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में राकांपा (एसपी) के सांसद मिलते हैं तो वह शिष्टाचार के तौर पर उनसे बात करते हैं. अव्हाड का नाम लिए बिना तटकरे ने यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे दावे इसलिए करते हैं क्योंकि वे सुर्खियों में आना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "ये बयान बाकी बचे लोगों को एक साथ रखने का एक प्रयास है, जो महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी भारी हार के बाद हताश और निराश हैं.''


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)