Asaduddin Owaisi On Ajmer Dargah Row: राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर मचे विवाद में असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद, ओवैसी ने दरगाह में हिंदू मंदिर होने के दावे को बीजेपी-आरएसएस की नफरती राजनीति का नया पैंतरा करार दिया. ओवैसी ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में सवाल उठाया, 'आप हर जगह जाकर कहेंगे कि मस्जिद या दरगाह की जगह कुछ और था. अगली बार कोई मुसलमान कहीं जाएगा और कहेगा कि यहां ऐसा कुछ नहीं था. यह कहां रुकेगा? कानून के राज का क्या होगा? लोकतंत्र कहां जाएगा?'


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सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, 'मोदी और आरएसएस का शासन देश में भाईचारे और कानून के शासन को कमजोर कर रहा है. उन्हें इसके लिए जवाब देना होगा.' AIMIM नेता ने गुरुवार को कहा, 'उन्होंने (इस मामले में) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को भी पार्टी बनाया है. मोदी सरकार उन्हें क्या बताएगी? निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं?'


'नेहरू से मोदी तक भेजते रहे हैं अजमेर दरगार पर चादर'


ओवैसी ने कहा, 'दरगाह पिछले 800 सालों से यहीं है. नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं. बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर इतनी नफरत क्यों फैलाई है? पीएम मोदी भी वहां चादर भेजते हैं. निचली अदालतें प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं? इस तरह कानून का शासन और लोकतंत्र कहां जाएगा? यह देश के हित में नहीं है. ये सब बीजेपी-आरएसएस के निर्देश पर किया जा रहा है...'


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राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने बुधवार को मंजूर कर लिया. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया. सुनवाई के लिए 20 दिसंबर 2024 की तारीख तय की गई है. दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वादी विष्णु गुप्ता ने विभिन्न साक्ष्य के आधार पर अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया था.


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ओवैसी को गिरिराज का जवाब


अजमेर दरगाह मामले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, 'अजमेर मामले में कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है. हमारा कहना है कि अगर किसी हिंदू ने याचिका दायर की है और उस पर कोर्ट ने सर्वे के लिए आदेश दिया है तो इसमें दिक्कत क्या है? ये सत्य है कि जब मुगल आए थे तो उन्होंने हमारे मंदिरों को तोड़ा था... कांग्रेस की सरकार आज तक केवल तुष्टिकरण करती रही है और तुष्टिकरण के  कारण ही, अगर ये 1947 में आक्रांतों द्वारा मंदिरों पर मस्जिद बनाने का जो उनका मुहिम चला था उसको नेहरु जी द्वारा समाप्त कर दिया गया होता तो हमें कोर्ट में अर्जी देने की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए अर्जी दी गई है....'