Anil Masih News: चंडीगढ़ मेयर चुनाव कराने वाला यह अधिकारी कौन है, जिस पर अब चल सकता है मुकदमा
Chandigarh Mayor Chunav: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में दिलचस्प मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. उनके खिलाफ केस चल सकता है और चुनाव भी फिर से कराए जा सकते हैं.
Chandigarh Mayor Chunav Anil Masih: जब कोई नियम के खिलाफ या अनैतिक काम कर रहा होता है तो हड़बड़ाता है, दिखावा करता है, झेंपता है, उसका मन काम से ज्यादा इधर-उधर लगता है कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा. चंडीगढ़ मेयर चुनाव के निर्वाचन अधिकारी अनील मसीह का वायरल वीडियो देख शायद सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसा ही लगा. SC ने इस अधिकारी को न सिर्फ फटकार लगाई बल्कि यहां तक कह दिया कि यह साफ है कि इन्होंने मतपत्रों को खराब किया और इसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उनका कार्य लोकतंत्र की हत्या है. ऐसे में जान लीजिए कि मतपत्रों की जांच करते चकर-पकर, ऊपर-नीचे देखने वाले यह चुनाव अधिकारी कौन हैं?
पहले बात मेयर चुनाव की
वास्तव में चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे हैरान करने वाले रहे. नंबर होने के बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार हार गए. वजह 8 वोट थे जिसे अवैध घोषित कर दिया गया. कई वीडियो आए. दोनों खेमे अपने-अपने तरीके से वीडियो में दिखाई दे रहे निर्वाचन अधिकारी के क्रियाकलाप की व्याख्या करने लगे. 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी. भाजपा के मनोज सोनकर को 16 जबकि आप के कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.
निर्वाचन अधिकारी है या भगोड़ा...
चुनाव में गड़बड़ी से नाराज चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि वह इस प्रकार से लोकतंत्र की हत्या नहीं करने देगी. कोर्ट ने पूछा कि निर्वाचन अधिकारी एक अधिकारी है या भगोड़ा. 19 फरवरी को अनिल मसीह को पेश होने का निर्देश दिया गया है. महापौर का चुनाव हारने वाले AAP के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका में आरोप लगाया गया है कि निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस-आप गठबंधन के पार्षदों के आठ मत पत्रों पर निशान लगाते हुए उन्हें अमान्य करार दिया.
विपक्षी दलों की चिंता यह है कि अगर अधिकारी का कारनामा वीडियो में न आया होता तो क्या होता? CJI चंद्रचूड़ ने साफ कहा, 'देखिये, वह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं? श्रीमान सॉलिसिटर (जनरल), यह लोकतंत्र का माखौल है और लोकतंत्र की हत्या है, हम स्तब्ध हैं. क्या यह एक निर्वाचन अधिकारी का आचरण है.’ कोर्ट ने कहा कि यह शख्स मतपत्र को खराब कर देता है और कैमरे की ओर देखता है.
अनिल मसीह के बारे में जान लीजिए?
53 साल के अनिल मसीह करीब एक दशक से भाजपा की चंडीगढ़ यूनिट के सदस्य हैं.
वह 2015 से भाजपा में हैं और पार्टी के लगभग सभी कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. मसीह भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चे का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं.
उनके समर्पण भाव और कर्मठता को देखते हुए भाजपा ने अक्टूबर 2022 में उन्हें चंडीगढ़ नगर निगम में पार्षद मनोनीत किया था.
इससे पहले 2021 में उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव नियुक्त किया गया था.
वह पहले भी विवादों में रहे हैं. 2018 में नॉर्थ इंडिया चर्च (सीएनआई) ने उन्हें चर्च से जुड़ी सभी गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया था. आरोप था कि उन्होंने एक कमेटी मीटिंग में अभद्र भाषा बोली थी. दो साल बाद रोक हटी.
मसीह सेक्टर 11 के सरकारी स्कूल से पढ़े हैं. बाद में सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज से स्नातक किया. उनकी पत्नी पंजाब इंजीनियरिंग हॉस्टल, सेक्टर 12 में एक गर्ल्स हॉस्टल की मैनेजर हैं.
मसीह ने काफी समय एक प्राइवेट फर्म में काम किया लेकिन कई साल से किसी नौकरी में नहीं हैं. कहते हैं कि पूरी तरह से राजनीति में समर्पित हूं.
मेयर चुनाव में वह उन 9 लोगों में थे जिन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं था. इससे पहले अनिल मसीह के ही 18 जनवरी को बीमार होने के कारण मेयर चुनाव स्थगित हो गया था.
बाद में फिर से इन्हें ही मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया.
35 सदस्यों वाले सदन में आप और कांग्रेस के पास कुल 20 वोट जबकि निगम पर काबिज भाजपा के पास 15 वोट हैं.