चंडीगढ़: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्य और जिलों में कृषि बिल (Agricultural Bill) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. अब हरियाणा (Haryana) के मुरथल के प्रसिद्ध अमरीक सुखदेव ढाबे ने विरोध प्रदर्शन करने दिल्ली जा रहे किसानों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. वे किसानों को मुफ्त में भोजन करा रहे हैं और इसके लिए उनकी खूब सराहना की जा रही है.


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कांग्रेस ने ट्वीट कर कही ये बात
इंडियन नेशनल कांग्रेस (Indian National Congress) की यूथ विंग ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस ढाबे की एक क्लिप शेयर की है. ट्वीट में कहा गया है, 'यह मेरा भारत है! इसे सलाम. दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर मुरथल का अमरीक सुखदेव ढाबा किसानों को मुफ्त में खाना खिला रहा है.' 


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी), महाराष्ट्र राज्य समिति ने इस ढाबे को 'लाल सलामी' दी. सीपीआई-एम महाराष्ट्र (Maharashtra) ने ट्वीट कर कहा, 'ये कहानियां हैं जो हमारे समाज को जीने और जीने के लिए एक खूबसूरत जगह बनाती हैं. अमरीक सुखदेव ढाबा को लाल सलाम.'


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इसलिए हो रहा विरोध
विरोध कर रहे किसानों का आरोप है कि नए कृषि कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा. प्रदर्शनकारियों को यह डर है कि FCI अब राज्य की मंडियों से खरीद नहीं कर पाएगा, जिससे एजेंटों को करीब 2.5% के कमीशन का घाटा होगा. साथ ही राज्य भी अपना 6% कमीशन खो देगा, जो वो एजेंसी की खरीद पर लगाता आया है.


प्रदर्शनकारियों माने तो अध्यादेश जो किसानों को अपनी उपज खुले बाजार में बेचने की अनुमति देता है, वो करीब 20 लाख किसानों- खासकर जाटों के लिए एक झटका ही है. साथ ही मुख्य तौर पर शहरी कमीशन एजेंटों जिनकी संख्या 30 हजार बताई जाती है, उनके लिए और करीब 3 लाख मंडी मजदूरों के साथ-साथ करीब 30 लाख भूमिहीन खेत मजदूरों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित होगा.


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किसानों की मांग?
विरोध कर रहे किसान संगठन का केंद्र सरकार (central government) से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने अपनी पंजाब इकाई के नेताओं को साफ कह दिया है कि सरकार किसी भी हाल में कृषि कानून रद्द नहीं करेगी. विरोध कर रहे तीन नए किसान कानून को रद्द करने के साथ बिजली बिल 2020 को भी वापस लेने की किसानों की मांग है.


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